Book Title: Samanya Pandulipi Vigyan Author(s): Mahavirprasad Sharma Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy View full book textPage 8
________________ इस पुस्तक में प्रयुक्त सामग्री एवं संदर्भ ग्रन्थों के विद्वानों के प्रति मैं अपने हृदय के गहनातिगहन तल से आभारी हूँ। सच तो यह है कि इन प्रकाशस्तम्भों के सन्निर्देशन में ही मैं यह पुस्तक आपके समक्ष प्रस्तुत कर सका हूँ। मेरे इस प्रयास को साकार करने में डॉ. कमलचन्दजी सौगानी का वरदहस्त रहा है। मेरा 'मैं' आपका हृदय से आभार व्यक्त करता है। इसके साथ ही श्री महावीरजी दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र के अध्यक्ष, सचिव एवं कार्यकारिणी का भी आभारी हूँ जिनकी सदाशयता के परिणामस्वरूप यह कृति आपके हाथों में है। मैं सम्पर्क कक्षाओं के अपने सहयोगियों का एवं अकादमी में कार्यरत सहयोगियों का आभारी हूँ, जिनका सहयोग मुझे सदैव मिलता रहा है। अन्त में, मैं अपने इस प्रयास में तनिक भी सफल रहा हूँ तो इसका श्रेय समस्त पाठकों को ही जाता है। साथ ही सुधी पाठकों से प्राप्त सुझावों का स्वागत करूँगा। जय भारती डॉ. एम. पी. शर्मा 11 अक्टूबर, 2002 इन्दौरिया निकेत छोटा बाजार, कोटपूतली (जयपुर) (vii) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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