Book Title: Samanya Pandulipi Vigyan
Author(s): Mahavirprasad Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 215
________________ 1. प्राचीनकाल में पाण्डुलिपियों की सुरक्षा के उपाय भारत में पाण्डुलिपियों की सुरक्षा में ब्राह्मणों और जैनों का विशेष योगदान रहा। जैन शास्त्रीय परम्परा में पाण्डुलिपियों की सुरक्षा के उपाय बताते हुए कहा गया है कि वे प्राय: सुरक्षात्मक दृष्टि से तहखानों में रखी जाती थीं। ग्रंथागार भण्डार की भी पूजा होती थी। ग्रंथागार में रखी पुस्तकों की एक विवरण सूची होती थी, जिससे यदाकदा मिलान कर देखा जाता था। 389 FATHE PRATRE --- रख-रखाव की उपेक्षा की शिकार पाण्डुलिपि। 88003888888888 अम्लीय स्याही के प्रयोग के कारण यत्र-तत्र से फटा कागज एवं स्याही का रंग-परिवर्तन - प्राय: काले से भूरा। 198 सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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