Book Title: Samanya Pandulipi Vigyan
Author(s): Mahavirprasad Sharma
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 221
________________ अनेक विकृतियों से युक्त होती है। जैसे - किसी पाण्डुलिपि के पत्र मुड़े-तुड़े एवं सलवटयुक्त होते हैं, किसी के कोने कटे-फटे होते हैं, किसी के कागज जीर्ण-शीर्ण या तड़कने वाले हैं, किसी के कागज भीगे हुए हैं, किसी के पन्ने चिपके हुए हैं, किसी का लेख धुंधला पड़ गया है या अन्य विकृतियाँ हो सकती हैं। ऐसी अवस्था में उन पाण्डुलिपियों को तात्कालिक उपचार की आवश्यकता होती है। आजकल विकृत या रुग्ण पाण्डुलिपियों की मरम्मत या चिकित्सा हेतु अनेक वैज्ञानिक प्रयोगशालाएँ खुल गई हैं, किन्तु अपने स्तर पर भी यदि चिकित्सा की जाये तो निम्नलिखित सामग्री का होना आवश्यक है - (1) साधन-सामग्री ___1. शीशे युक्त एक मेज, 2. दाब देने के लिए छोटा हाथ प्रेस, 3. कैंची, 4. चाकू, 5. प्याले, 6. तश्तरियाँ, 7. ब्रुश, 8. फुटा, 9. छोटी-बड़ी दो सुइयाँ, 10. छेद करने के लिए बोदकिन, 11. शीशे की प्लेटें, 12. ल्हायी बनाने हेतु पतीली, 13. बिजली की प्रेस। (2) मरम्मत या चिकित्सा सामग्री 1. हाथ का बना कागज, 2. ऊलि (टिशू) पत्र, 3. शिफन, 4. मोमी या तेल कागज, 5. मलमल, 6. लंकलाट (Long cloth) , 7. सैल्यूलोज एसीटेट पायल - लेमीनेशन हो। इस सामग्री के बाद थोड़ा प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति पाण्डुलिपियों का उपचार आसानी से कर सकता है। जैसे - पाण्डुलिपि पत्र के किनारे मुड़े-तुड़े हैं तो उन्हें चौरस करना, पूर्ण पृष्ठ वर्णन चिकित्सा, शिफन चिकित्सा, टिश्यू चिकित्सा, परलोपचार या लेमीनेशन, पानी से भीगी पाण्डुलिपि का उपचार, कागज को अम्ल रहित करना, अमोनिया गैस का उपचार, ताड़पत्र एवं भोजपत्र की पाण्डुलिपियों के उपचार करना आदि। इस संदर्भ में बहुत से ग्रंथ भी लिखे गये हैं। उनका अध्ययन सहायक सिद्ध होगा। इस प्रकार पाण्डुलिपिविज्ञान के विद्यार्थी को प्रारंभिक ज्ञान देने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर हमने यहाँ कुछ मोटी-मोटी बातों का उल्लेख किया है। आज 'रखरखाव' को ध्यान में रखते हुए बड़ी-बड़ी प्रयोगशालाएँ बन गई हैं। । - - 204 सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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