Book Title: Samaj ko Badlo
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Z_Dharma_aur_Samaj_001072.pdf

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Page 3
________________ धर्म और समाज खून करनेमें ही भरोसा रखनेवाली और उसीमें पुरुषार्थ समझनेवाली 'चारैया ' जातिको सुधारनेकी लगन लगी । उन्होंने अपना जीवन इस जाति के बीच ऐसा ओतप्रोत कर लिया और अपनी जीवन-पद्धतिको इस प्रकार परिवर्तित किया कि धीरे-धीरे यह जाति आप ही आप बदलने लगी, खून के गुनाह खुद-ब-खुद कबूल करने लगी और अपने अपराधके लिए सजा भोगने में भी गौरव मानने लगी । आखिरकर यह सारी जाति परिवर्तित हो गई। १७४ रविशंकर महाराजने हाई स्कूल तक भी शिक्षा नहीं पाई, तो भी उनकी वाणी बड़े बड़े प्रोफेसरों तकपर असर करती है । विद्यार्थी उनके पीछे पागल बन जाते हैं। जब वे बोलते हैं तब सुननेवाला समझता है कि महाराज जो कुछ कहते हैं, वह सत्य और अनुभवसिद्ध है । केन्द्र या प्रान्तके मन्त्रियों तक पर उनका जादू जैसा प्रभाव है । वे जिस क्षेत्र में कामका बीड़ा उठाते हैं, उसमें बसनेवाले उनके रहन-सहन से मन्त्रमुग्ध हो जाते हैं -- क्यों कि उन्होंने पहले अपने आपको तैयार किया है. - बदला है, और बदलनेके रास्तों का भेदका अनुभव किया है । इसीसे उनकी वाणीका असर पड़ता है। उनके विषय में कवि और साहित्यकार स्व० मेघाणीने ' माणसाईना दीवा ' ( मानवताके दीपक ) नामक परिचय-पुस्तक लिखी है । एक और दूसरी 'पुस्तक श्री बबलभाई मेहताकी लिखी हुई है । 1 दूसरे व्यक्ति हैं सन्त बाल, जो स्थानकवासी जैन साधु हैं । वे मुँहपर मुँहपत्ती, हाथमें रजोहरण आदिका साधु-वेष रखते हैं, किन्तु उनकी दृष्टि बहुत ही आगे बढ़ी हुई है । वेत्र और पन्थके बाड़ोंको छोड़कर वे किसी अनोखी दुनिया में विहार करते हैं । इसीसे आज शिक्षित और अशिक्षित, सरकारी या गैरसरकारी, हिन्दू या मुसलमान स्त्री-पुरुष उनके वचन मान लेते हैं । विशेष 'रूपसे 'भालकी पट्टी' नामक प्रदेशमें समाज-सुधारका कार्य वे लगभग बारह वर्षो से कर रहे हैं । उस प्रदेशमें दो सौसे अधिक छोटे-मोटे गाँव हैं । वहाँ उन्होंने समाजको बदलनेके लिए जिस धर्म और नीतिकी नींवपर सेवाकी इमारत शुरू की है, वह ऐसी वस्तु है क़ि उसे देखनेवाले और जाननेवालेको आश्चर्य हुए बिना नहीं रहता । मन्त्री, कलेक्टर, कमिश्नर आदि सभी कोई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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