Book Title: Samaj Sudhar Ki Swarnim Rekhaye
Author(s): Amarmuni
Publisher: Z_Panna_Sammikkhaye_Dhammam_Part_01_003408_HR.pdf

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Page 8
________________ नहीं होता है। किन्तु जिस प्रकार समग्र शरीर में किसी अवयव-विशेष का भी पूरा-पूरा महत्त्व होता है, व्यक्ति का भी उसी प्रकार समष्टि-जीवन में महत्त्व है। इस प्रकार अरस्तु ने ठीक ही कहा है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।' इस प्रकार अंगांगी-सावयव सिद्धान्त के आधार पर हम देखते हैं कि व्यक्ति और समाज के बीच अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है। एकदूसरे का पूरक है, एक दूसरे का परिष्कार एवं परिवर्द्धन करने वाला है। अतः दोनों का यह पावन कर्तव्य हो जाता है कि दोनों ही परस्पर सहयोग, सहानुभूति एवं सम्यक् संतुलन रखते हुए समष्टि रूप से मानव-जीवन का उत्थान करें। महात्मा गाँधी ने इसी सिद्धान्त के आधार पर अपने सर्वोदयवाद की पीठिका का निर्माण किया था कि--"सबों के द्वारा सबों का उदय ही सर्वोदय है।" अर्थात् जब सभी एकदूसरे के साथ मिलकर, परस्पर अनुरागबद्ध होकर, परस्पर सब के उत्थान का, हित का चिंतन करेंगे तथा तदनुरूप कार्य-पद्धति अपनाएंगे, तो समाज का स्वतः सुधार हो जाएगा।" सामाजिक पुनर्गठन अथवा पुनरुद्धार की जो बात महात्माजी ने चलाई, उसके मूल में यहीं भावना निहित थी। सहस्राधिक वर्ष पूर्व महान् प्राचार्य समन्तभद्र ने भगवान् महावीर के धर्मतीर्य को इसी व्यापक भाव में सर्वोदय-तीर्थ के पवित्र नाम से अभिहित किया था"सर्वोदयं तीर्यमिद तवैव / " तात्पर्य यह कि समाज का सुधार तभी सम्भव है, जबकि व्यक्ति-व्यक्ति के बीच परस्पर बन्धुत्व की उत्कट भावना, कल्याण का सरस प्रवाह हिलोरें मार रहा हो। इसी बन्धुत्व भाव के आधार पर दुनिया की तमाम असंगतियाँ, अव्यवस्थाएँ, अनीतिता, अनयता एवं अनाचारिता का मूलोच्छेदन हो जाएगा और समाज उत्थान की उच्चतम चोटी पर चढ़कर कल्याण की वंशीटरने लगेगा। यही सारे सुधारों का केन्द्रबिन्दु है / भूतल को स्वर्ग बनाने का यही एक अमोघ मन्त्र है। आज की गालियाँ : कल का अभिनन्दन : स्मरण रखिए, प्राज का समाज गालियाँ देगा, किन्तु भविष्य का समाज 'समाजनिर्माता' के रूप में आपको सादर स्मरण करेगा। आज का समाज आपके सामने काँटे बिखेरेगा, परन्तु भविष्य का समाज श्रद्धा की सुमन-अंजलियाँ भेट करेगा। अतएव आप भविष्य की ओर ध्यान रखकर और समाज के वास्तविक कल्याण का विचार करके, अपने मूल केन्द्र को सुरक्षित रखते हुए, समाज-सुधार के पुनीत कार्य में जुट जाएँ, भविष्य आपका है। पन्ना समिक्खए धम्म Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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