Book Title: Sagarmal Jain Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Jain Samaj Shajapur MP
Publisher: Jain Samaj Shajapur MP

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Page 24
________________ शोध-छात्र Jain Education International 23 For Private & Personal Use Only 1. डॉ. भिखारीराम यादव 2. डॉ. अरुणप्रताप सिंह 3. डॉ. रविशंकर मिश्र 4. महो. चन्द्रप्रभसागर 5. डॉ. रवीन्द्रनाथ मिश्र 6. डॉ. रमेशचन्द्र गुप्त 7. डॉ. कमलप्रभा जैन 8. डॉ. महेन्द्रनाथ सिंह 9. डॉ. त्रिवेणीप्रसाद सिंह 10. श्री उमेशचन्द्र सिंह 11. डॉ. रज्जनकुमार 12. डॉ. (श्रीमती) रीता सिंह 13. डॉ. इन्द्रेशचन्द्र सिंह 14. डॉ. श्रीनारायण दबे 15. डॉ. (श्रीमती ) संगीता झा 17. डॉ. धनंजय मिश्र 18. डॉ. (श्रीमती) गीता सिंह 19. डॉ. (श्रीमती) अर्चना पाण्डेय 20. डॉ. (श्रीमती ) मंजुला भट्टाचार्या जैन तर्कशास्त्र के सप्तभंगीनय की आधुनिक व्याख्या, 1983 जैन और बौद्ध भिक्षुणी संघ का उद्भव, विकास एवं स्थिति, 1983 महाकवि कालिदासकृत मेघदूत और जैन कवि मेरुतुझकृत जैनमेघदूत का साहित्यिक अध्ययन, 1983 समय सुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व 1986 जैन कर्म सिद्धान्त का ऐतिहासिक विश्लेषण, 1986 तीर्थंकर. बद्ध और अवतार की अवधारणाओं का तुलनात्मक अध्ययन, 1986 प्राचीन जैन साहित्य में वर्णित आर्थिक जीवन : एक अध्ययन, 1986 उत्तराध्ययन और धम्मपद का तुलनात्मक अध्ययन, 1986 जैनदर्शन के परिप्रेक्ष्य में मानव व्यक्तित्व का वर्गीकरण, 1987 जैन आगम साहित्य में शिक्षा, समाज एवं अर्थव्यवस्था :५ जैनधर्म में समाधिमरण की अवधारणा, 1987 प्राकृत और जैन संस्कृत साहित्य में कृष्ण कथा, 1989 जैन साहित्य में वर्णित सैन्यविज्ञान एवं युद्धकला, 1990 जैन अभिलेखों का सांस्कृतिक अध्ययन, 1990 धर्म और दर्शन के क्षेत्र में आचार्य हरिभद्र का अवदान, 1990 हरिभद्र का योग के क्षेत्र में योगदान, 1991 औपनिषदिक साहित्य में श्रमण परम्परा के तत्त्व, 1991 भाषा दर्शन को जैन दार्शनिकों का योगदान, 1991 जैन दार्शनिक ग्रन्थों में ईश्वर कर्तृत्व की समालोचना, 1992 www.jainelibrary.org

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