Book Title: Sagarmal Jain Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Jain Samaj Shajapur MP
Publisher: Jain Samaj Shajapur MP

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Page 28
________________ क्रमांक लेख का नाम पत्रिका/अंक Jain Education International 144 For Private & Personal Use Only 1. जैन दर्शन में निश्चय और व्यवहार नय दार्शनिक जुलाई 1974 2. जैन दर्शन का त्रिविध साधना मार्ग The Vikram/नानचंद जी जन्म शताब्दी स्मृति ग्रन्थ मई एवं नवम्बर 1974 3. निश्चय और व्यवहार किसका आश्रय लें? आचार्य आनन्द ऋषि अभिनन्दन ग्रन्थ 1975 4. अहिंसा : एक तुलनात्मक अध्ययन वीर निर्वाण स्मारिका 1975 5. अद्वैतवाद और आचार दर्शन की सम्भावना दार्शनिक अक्टूबर 1975 6. भगवान महावीर का अपरिग्रह सिद्धान्त और उसकी उपादेयता जिनवाणी, अप्रैल 1979 7. जैन, बौद्ध और गीता दर्शन में मोक्ष का स्वरूप : एक तुलनात्मक अध्ययन राजेन्द्र-ज्योति 1975-76 8. नीति के निरपेक्ष एवं सापेक्ष तत्त्व दार्शनिक अप्रैल 1976 9. महावीर के सिद्धान्त : आधुनिक सन्दर्भ में महावीर जयन्ती स्मारिका 1976 10. सप्तभंगी : त्रिमूल्यात्मक तर्कशास्त्र के सन्दर्भ में महावीर जयन्ती स्मारिका 1977 11. स्याद्रद : एक चिन्तन महावीर जयन्ती स्मारिका 1977 12. जैन दर्शन में नैतिकता की सापेक्षता और निरपेक्षता मुनिद्रय अभिनन्दन ग्रन्थ 1977 13. जैन दर्शन में मोक्ष का स्वरूप तीर्थकर महावीर स्मृति ग्रन्थ 1977 14. समाधिमरण (मृत्युवरण) : एक तुलनात्मक सम्बोधि, वाल्यूम 6 अक्टूबर 1977 एवं समीक्षात्मक अध्ययन . 15. मूल्यबोध की सापेक्षता दार्शनिक अक्टूबर 1977 16. मानवतावाद और जैनाचार दर्शन तीर्थकर जनवरी 1978 17. भारतीय दर्शन में सामाजिक चेतना दार्शनिक जनवरी 1978 18. नैतिक मूल्यों की परिवर्तनशीलता का प्रश्न दार्शनिक अप्रैल 1978 www.jainelibrary.org *

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