Book Title: Sadhna Ke Shalaka Purush Gurudev Tulsi Author(s): Kusumpragya Shramani Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 7
________________ सत्यम् 1 गुरुदेव तुलसी के जीवन का गुंफन अनेक तत्त्वों से हुआ। वे ज्ञानी थे, साधक थे, योगी थे, शास्ता थे और सिद्ध पुरुष थे । कुछ व्यक्ति प्रतिदिन योग की साधना करते हैं । सिद्धि-तत्त्व तक पहुंचने का प्रयास करते हैं। कुछ व्यक्ति जन्म से योग-सिद्धि लेकर आते हैं और योग-सिद्ध पुरुष बन जाते हैं। गुरुदेव तुलसी का अवतार दूसरी श्रेणी का है । उनमें सहिष्णुता, विनम्रता, कृतज्ञता आदि सर्वोत्तम गुण सहज विकसित थे। उन्होंने वचन-सिद्धि की साधना नहीं की पर बहुत बार अनेक लोगों ने अनुभव किया कि उनमें वचन - सिद्धि की विलक्षण शक्ति है। हजारोंहजारों व्यक्ति उनके एक वचन को पाकर निहाल हो जाते थे । सिद्धि के बिना ऐसा होना सम्भव नहीं है। वर्तमान जीवन में भी उन्होंने साधना के अनेक प्रयोग स्वयं किए और शिष्यों को प्रयोगों की प्रेरणा दी। जीवन के सान्ध्यकाल में भी आसन-प्राणायाम, ध्यान, कायोत्सर्ग और प्रेक्षाध्यान- ये प्रयोग प्राय: निरन्तर चलते थे । 'समणी कुसुमप्रज्ञा' ने गुरुदेव की साधना के सूत्रों का संकलन कर पाठकों को एक महत्त्वपूर्ण संबल दिया है। इससे जनता को साधना की विशेष प्रेरणा मिलेगी। नोखा १५-१-१९९८ आचार्य महाप्रज्ञPage Navigation
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