Book Title: Sachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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आगम
(४२)
भाग-6 “दशवैकालिक'- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य+चूर्णि:)
अध्ययनं [-1, उद्देशक [-], मूलं -/गाथा: || ||, नियुक्ति: [२/१-७], भाष्या-] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-[०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि
प्रत
अथ दशवैकालिकचूर्णिः
सूत्रांक
१ अध्ययने श
H
श्रीदशबेकालिक
४ मंगलवयं घूर्णी
नमो जिनागमाय । णमो अरहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं, मंगलादीणि सत्याणि मंगलमज्झाणि मंगलावसाणाषिय,
मंगलपरिग्गहीता य सिस्सा सत्थाणं अवग्रहहावायधारणसमत्था भवंति, ताणि य सत्थाणि लोगे विरायंति वित्थारं च गच्छति। आह॥ १ ॥ मंगलमिति किमर्थमुपादीयत्ती, उच्यते, विघ्नविनायकायुपशमनार्थमुपादीयते, आह-यद्येतन्मंगलत्रयेण किं प्रयोजनी, उच्यते, आदि
|मंगलग्रहणेन शिष्यस्तच्छासं विसं गृह्णाति, मध्यमंगलग्रहणेन तस्य शाखस्य शिष्यो निर्विघेन पारं गच्छति, अवसानमङ्गलग्रहणेन तिच्छावं शिष्यप्रशिष्येभ्यो अव्यवच्छिचिकर भविष्यति, अनेन प्रयोजनेन मंगलत्रयमुपादीयते, आह-यदेतन्मंगलवयापांतरालद्वयं ४
तन्नामामंगलिकं प्रामोति, उच्यते, तत्र अंतरालस्याभावाइंडवच्च सर्वमेव शार्ख मंगलं निर्जरात्मकत्वात्तपोवत्, एवं तर्हि शाखस्या| मंगलत्वं प्रामोति, कस्मादी, अन्येन मंगलेन मंगलीक्रियमाणत्वात् , यदि तावच्छात्रं मंगलं किमस्यान्यन्मंगलमुपादीयते?, अथामंगलं ला किमनेनारम्धेन?, उच्यते, शास्त्रं हि स्वयमेव मंगलं अन्येषां च मंगलं भवति, स्वपरानुभावात्मकसामर्थ्ययुक्तत्वाद् गुडलवणानिप्रदी-1
पवत्, एवं तनवस्था प्रामोति-यदि मंगलस्यापि मंगलमुपादीयते तस्याप्यन्यत् तस्याप्यन्यद्, एवं मंगल उपादीयमाने भारमाशीमोला है 15 प्रसज्यते, सत्यमतत्, कि तहिं , शिष्यस्य मंगलवुद्ध्युत्पादनार्थमिदमुच्यते साधुवत ।। मंगलमिति कः शब्दार्थः १, रख णख
बख मख अगि बगि मगीति धातुमवस्थाप्य अस्य धातोः 'इदितो नुम् धातो' (पा०७१।५८). रिति नुमागमः, परस्य अवर्ण
दीप अनुक्रम
... मंगलम् एवं सूत्र-प्रस्तावना ... यहां नियुक्ति आदि सभी स्थानोमे जहां जहां “२/१-३" इस तरह क्रमांक लिखे है वे सभी स्थानोमे पहेला क्रमांक इस चूर्णि कि प्रत का समझना और (1) 'ओब्लिक' के बाद दिया हुआ क्रम वृत्तिकार का बताया हुआ 'नियुक्ति' आदि का क्रमांक समझना |
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