Book Title: Saccha Guru Vyakti ko Kalyan Marg se Jodta Hai
Author(s): Manchandraji Upadhyay
Publisher: Z_Jinvani_Guru_Garima_evam_Shraman_Jivan_Visheshank_003844.pdf

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Page 3
________________ 27 | 10 जनवरी 2011 || जिनवाणी व्याख्यान वाचस्पति मदनलाल जी महाराज, बाबजी पूरणचन्द जी महाराज, बहुश्रुत समर्थमल जी महाराज सिंहपोल विराज रहे थे। सावण के महीने में हरियाली अमावस्या के दिन पूज्यपाद शोभाचन्द जी महाराज का पुण्य दिवस था। कवि अमरचन्द जी महाराज ने प्रवचन में उस समय जो शब्द कहे वे महत्त्व के हैं, उनके शब्द थे- गुरु वह है जो गुरु बनाता है, गुरु का निर्माण करता है। आचार्य श्री शोभाचन्द्र जी महाराज सच्चे गुरु थे, जिन्होंने समाज को प्रतिभा सम्पन्न तेजस्वी गुरु दिया। गुरु की महिमा बखान करना सरल नहीं है। आचार्य श्री हस्तीमल जी महाराज भी सच्चे गुरु थे। उन्होंने भी अपने पीछे गुरु तैयार किया। आज आचार्य श्री (हीराचन्द्र जी म.सा.) चतुर्विध संघ की बराबर सार-सम्भाल करके विचरण कर रहे हैं। चतुर्विध संघ की सारणा-वारणा-धारणा के साथ जहाँ भी जाते हैं, सामायिक-स्वाध्याय के माध्यम से जागृति उत्पन्न करते हैं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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