Book Title: Request To Indian People From Vegetarians Of World
Author(s): Young Indian Vegetarians
Publisher: Young Indian Vegetarians
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भोजन का विषाक्तीकरण एवं मांस भक्षण करने वालों के लिए स्वास्थ्य संबंधी अन्य खतरे
मृत जानवरों का मांस स्वास्थ्य के लिए अनेक खतरे पैदा करता है. इनमें से ही एक है भोजन का विषाक्तीकरण. हानिकारक जीवाणुओं द्वारा दूषित किये गये खाद्य-पदार्थ के सेवन से आमाशय. एवं छोटी आंत में जो जलन पैदा होती है उसे भोजन के विषाक्तीकरण के नाम से जाना जाता है. विषाक्त भोजन का तीन चौथाई हिस्सा पशु-आहार में पाये जाने वाले जीवाणुओं के कारण दूषित होता है.साल्भोनेला के कुछ जीवाणु प्रमुख रूप से भोजन को विषाक्त करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, इनमें से अधिकांश जीवाणुओं में इतनी प्रतिरोधात्मक शक्ति होती है कि इनके विरुद्ध प्रयुक्त किये जानेवाली दवाओं का इन पर कोई असर नहीं होता है. मांस की कचौरियां सॉसेज गौमांस, मछली के मांस जैसे भोजन पदार्थों में सामान्य रूप से साल्मोनेला के मारक एवं संक्रामक जीवाणु पाये जाते है. शाकाहारी भोजन के प्रयोग से भोजन के दूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है. . प्रारंभ से शाकाहारी मनुष्य लाभदायक स्थिति में रहता है क्योंकि साल्मोनेला पौधों पर आसानी से नहीं पनप सकता है. जब कभी ये दिखाई दें, तो यह मानना चाहिए कि निश्चित रूपसे यह दूषित स्तर या सामान्य रूप से अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों के कारण हुआ है. हाल ही में ब्रिटेन में मोजन के विषाक्तीकरण के कई मामले प्रकाश में आये है, यह पाया गया कि साल्मोनेला रोग संचार के कारण कुछ मरीजों की मृत्यु हो गई. भूने हुए गौ मांस के कारण यह बीमारी अन्य वार्डों में भी फैल गई वर्ष 1977 की तुलनामें ब्रिटेन में सन 1983 में साल्मोनेला के विषाक्तीकरण के मामले 10,000 से बढकर 17,000 हो गये तथा मृतकों की संख्या जो वर्ष 1972 में 25 थी, बढकर 1982 में 65 तक पहुंच गई. भोजन के विषाक्तीकरण के अलावा मांसाहार से कई और भी खतरे जुड़े हुए हैं. जबसे मनुष्य ने जानवरों का मांस तथा समुद्र से प्राप्त खाद्य पदार्थ खाने प्रारंभ किये, तब से ही मनुष्य के शरीर में जीवित आंत्र-जीवाणु विशेषकर टेपवर्म, पाये जाते रहे हैं. यदि किसी व्यक्ति द्वारा पोर्क टेपवर्म के अण्डे निगले जाते हैं तो वे छोटी
आंत में जमा हो जाते है, तथा मनुष्य के शरीर के विभिन्न हिस्सों में लार्वा की आकति के चिन्ह दिखाई पड़ने लगते हैं. इसके नतीजे भयानक हो सकते हैं. आंत्र संबंधी जीवाणुओं से पूर्ण रूप से मुक्ति केवल संपूर्ण शाकाहारी भोजन से ही हो सकती है.