Book Title: Rayansar
Author(s): Kundkundacharya, Syadvatvati Mata
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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रयणसार
११३ बहुदुक्खभायणं
१३२ दिव्युत्तरणसरिच्छ देवगुरुधम्मगुण देवगुरुसमयभत्ता देहकलत्तं पुत्तं देहाइसु अणुरत्ता
५
९ भयवसण मलविज्जिय १२८ जेइ जहालाह ५०० भुत्तो अयोगुलोसइयो
भू महिला कणयाइ
।
१४८
७५
धणधण्णाहसमिद्धे धम्मज्झाणब्भास् धरियउ बाहिरलिंग
८८
१३४
१६१
१४१
पत्त विणा दाणं ण पदि भत्ति विहीण सदी पत्रयणसारब्भासं पावारंमणिवित्ती पिच्छे संथरणे इच्छासु पुत्तकलत्तविदूरो पुवं जिणेहि भणियं पुव्वं जो पंचिंदिय पुचट्ठिद खवइ कम्म पुव्वं सेवइ मिच्छा पूय फलेण तिलोक्के पृयसूयरसणाणं
५६३|मक्खी सिलिम्मि पडियो ६४ मदमूढमणायदणं
मइसुयणाणबलेण दु ३१ मल-मुत्त-घडत्व चिरं
५७!माद पिद पत्त मित्तं .. १६२ मिच्छंधयाररहियं
९१ मिच्छामइमदमोहा १५८ मिस्सो त्ति बाहिरप्पा ३३ मिहिरो महंधयार
शमूढत्तय सल्ललय ७६ मूलुत्तरुत्तरुत्तर ५२ मोक्खणिमित्त दुखं ६९ मोक्खगइगमणकारण १४ मोह ण छिज्जइ अप्पा १३२
रज्जं पहाणहीण १४५ रयणत्तय करणत्तय १४० रयणतयमेव गणं
१६० १४२ १२४
१३८
बहिरम्भंतर गंथ बहिरंतरप्पभेदं

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