Book Title: Ratnashekhar Charitram
Author(s): Dayavardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ Scanned by CamScanner चस्त्रिं ख. प्रवरा कथा // समयांबुनिर्मध्या-चरित्र्यां जयताच्चिरं // 1 // ॥इति श्रीरनशेखरचरित्रं समाप्तं / / // समाप्तोऽयं ग्रंथो गुरुश्रीमच्चारित्रविजयसुप्रसादात् / / लब्ध्वा यदीयचरणांबुजतारसारं / स्वादबटाधरितदिव्यसुधासमूहं / / संसारकाननतटे ह्यटतालिनेव / पीतो मया प्रवरखोघरसप्रवाहः // 1 // वंदे मम गुरुं तं च / चारित्रविजयाह्वयं // परोपकारिणां धुर्य / चित्रं चारित्रमाश्रितं // 2 // युग्मं. चारित्रपूर्वा विजयान्निधाना / मुनीश्वराः सूविरस्य शिष्याः / थानंदपूर्वविजयान्निधस्य / जातास्तपागबसुनेतुरेते // 3 // था ग्रंथ श्रीजामनगरनिवासी पंमित श्रावक हीरालाल हंसराजे स्वपरना श्रेयमाटे पोताना श्रीजैनन्नास्करोदय गपखानामां गपी प्रसिक को ले.

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