Book Title: Ratan Guru Ras
Author(s): Rasila Kadia
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 1
________________ रतनगुरुरास सं. डो. रसीला कडिया प्रतपरिचय : प्रत संख्या -२ माप =११.५ से.मि. x २५.७ से.मि दरेक प्रतमां पंक्तिओनी संख्या =१५ अक्षर संख्या =३९ स्थिति =मध्यम प्रारंभे 'भले मींडु' करेल छे. चरणांते आंकणी लखी संख्या लखी छे त्यां : (विसर्गचिह्न) करेल छे अने लाल शाहीथी दंड करवा माटेनी जग्या छोडी छे. बन्ने बाजु हांसिया माटे ऊभी त्रण लीटीओ लाल शाहीथी करेली छे. आंकणी तथा कडीनी संख्या लखी छे त्यां गेरु लगाडेलो छे. प्रतने अंते रचयितानु नाम लखेल नथी पण पुष्पिका आपी छे जेमां लिपिकार तरीके मुनिश्री हेतकुशलगणिर्नु नाम मळे छे अने प्रत हेमविजयजीना वांचनार्थे लखवामां आवी होवानुं जणावेल छे. प्रत धोराजीमां लखवामां आवी छे. संवत पण जणाववामां आवी नथी पण अंदाजे आ प्रतनो समय विक्रमनो १९मो सैको छे. ___ अहीं छेक छेल्ले गुजराती लिपिमां "आ पर[तानाः परातरकः मा हरचंदजी छे" लखेल छे अने एनी नीचेनुं लखाण भंसी नाखवामां आव्युं छे. भाषानी केटलीक लाक्षणिकताओ नोंधवा जेवी छे : । गुरुने स्थाने गरू, मुज अने तुजमां ज ने स्थाने झ नो प्रयोग, अनुस्वारनो नहिवत् प्रयोग जेमके - हु, सुदर, सुदरि, विनवु, साभलता, तु, मे- अने जगत माटे वपरायेलो जगत्र शब्द ध्यान खेंचे छे. कथावस्तु : प्रस्तुत रासमां दीक्षा लेवानो निरधार करनार रतनसी आणुं लईने पत्नी श्रीबाईने तेडवा जाय छे त्यारे पोतानो निर्णय जणावे छे अने बन्ने वच्चे त्यारे जे संवाद थाय छे ते खूब सरस रीते निरूप्यो छे. श्रीबाईनी पण तर्कप्रवीणता रतनसी जेवी ज छे पण अंते नेमराजुलनी पेठे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6