Book Title: Rajasthani Hastlikhit Granthsuchi Part 02
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 68
________________ ५८ ] [ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान अन्त - ॥ छद ।। मिल राव पतिसाहि, छीर ज्यौ नीर बहाये । जो पारसको मिलत लोहो, कचन हो पाये ।। अलादीन हमीर से हये न अब कोई होय । कवि महेस ईम उचर[२] वे बसे सुरग सब कोय ॥ ३६५ ॥ दोहा । कवि महेस बनने [वर्णन]कीयो, रासो राव हमीर । भूल चूक ज्यौ होय तो, माफ करो तकसीर ॥ ३६६ ईती श्री राव हमीरको रासो सपूर्ण। लीखीत नाजर न[न]णसुष न बाच बच्यार सुज्या राम राम राम राम बचजो जी ।।

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