Book Title: Rajasthani Bato me Patra aur Charitra Chitran
Author(s): Manohar Sharma
Publisher: Z_Agarchand_Nahta_Abhinandan_Granth_Part_2_012043.pdf
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________________ हृदयमें उथल-पुथल मची हुई है। उसे अपने पतिके शब्दों पर भारी रोष है, जिसे बातमें एक दोहेके द्वारा प्रकट किया गया है। (5) जाट साहरण भाडंग माहे रहै अर गोदारो पांडो लाधड़ीयै रहै, वडो दातार / सु साहरण रे नायर (पत्नी) बाहणोवाल मलकी। सु मलकी मांही (पति) नूं क ह्यो-"जु गोदारो घणो कहावै छै / " घड़ बंधी बरसे गोदारो, बत भांडको भीजै। पांडो कहै सुणो रे लोगो, रहै सु डूमां दीजै // मांटी नुं कह्यो--"चौधरी, रसो दे, जिसो गोदारो। ता ऊपर नांव हवै। जोट तो दारू रो छाकीयो हंतो, सु चोधरण र चाबखै री दीवी। तो जाहरां कह्यो-“पांडो केरो, जो रोधी छै / " जाहणी कह्यो"धरवूडा, मैं तो बात कही थी।" जाटणो कह्यौ-"थारै माचे आवू तो भाई र आवू।" जाट सू अबोलणो घातीयौ। मास 1 पांडू गोदार नू' कहाय मेलीयो-"जु ते बदलै मोनुं ताजणो वाह्यौ।" पांडू कहायो--"जो आवै तो हैं आय लेवा।" ओर ही त मास दे हवा / ' इस प्रसंगमें बिना अपराध ताड़ित नारी की रोषपूर्ण आत्मा पुकार कर रही है। ऐसी स्थितिमें वह आत्म सम्मानके लिए सब कुछ छोड़नेके लिए तैयार हो जाती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि राजस्थानी बातोंमें पात्रोंका एक अलग ही संसार बसा हुआ है। इस संसारमें भले-बुरे सभी तरहके व्यक्ति हैं। वहाँ छोटे-बड़े, ऊँच-नीच, बली-निर्बल आदि सभी प्रकारके लोग अपने-अपने कार्यमें व्यस्त दिखलाई देते हैं। बातों की इस दुनियामें विचरण करके यहाँके निवासियों की प्रकृति तथा चरित्रका अध्ययन करना बड़ा ही रोचक तथा रसदायक है। 1. वात राव वीकै री (हस्तप्रति, अ०० ग्रं०बीकानेर) भाषा और साहित्य : 255 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org