Book Title: Raghuvansh Tikani Parichayatmak Bhumika
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 3
________________ December - 2003 ज उपयुक्त छे; प्रथम सर्ग हरगीज नहि; माटे पण तेमणे बीजा सर्ग उपर ज कलम चलावी होय, तो ते बनवाजोग छे. __रघुवंश जेवा महाकाव्य उपर टीका लखवा माटे केवी अने केटली सज्जता जोईए, तेनो अंदाज आ टीकाग्रन्थनु अवलोकन करवाथी मळी रहे छे. एकेक शब्दोनी व्युत्पत्ति, प्रयोग-साधनिका, लिङ्गदर्शन, कोषनां समर्थन अने ते द्वारा अर्थनिश्चय, जुदां जुदां मतो-दर्शनो तथा तेना ग्रन्थसन्दर्भोनी तथा ग्रन्थकारोनी जाणकारी-इत्यादि केटली बधी बाबतोनुं ज्ञान, आवी टीका लखनारमा होवू जोईए ! तेनो अणसार आ अपूर्ण रचना द्वारा पण मळी जाय छे. उदाहरण तरीके : प्रत्येक पद्यगत प्रत्येक शब्दनी व्युत्पत्ति अहीं, सिद्धहेम तेमज पाणिनीय एम बन्ने व्याकरणोना आधारे, सूत्रो,-उणादिसूत्रो- भाष्य-वार्तिक-धातुपाठ इत्यादिना स्पष्ट हवाला साथे, आपवामां आवी छे. मल्लिनाथसमेत अन्य टीकाकारोए केटलाक खास शब्दोनी ज व्युत्पत्ति आपी छे, ते पण व्याकरणादिना स्पष्ट सन्दर्भोपूर्वक नहीं ज; ज्यारे अहीं तो एक एक शब्दना ताणावाणा ससन्दर्भ छूटा पाडीने समजाव्या छे, जे आ टीकानी विलक्षण मौलिकता छे. समास होय त्यां पण, बन्ने व्याकरणना मते, जे जे प्रकारे समास थई शके ते बधा देखाडीने, ओ स्थळे ग्राह्य बने तेवो समास तेमणे अलग तारवी बताव्यो छे. दा.त. श्लोक २मां 'धर्मपत्नी' शब्द-समासनी चर्चा. कोषना सन्दर्भो पण पदे पदे आप्या छे. अभिधानचिन्तामणिनाममाला (हैम कोष), हैम शेष, अनेकार्थसंग्रह, अमरकोष, वैजयन्ती, मंख, शाश्वतकोष, विश्वलोचन कोष, यादव कोष - एम विविध कोषोना हवाला साथे, एकेक शब्दना तमाम अर्थो दर्शावे छे, अने छेवटे प्रस्तुत सन्दर्भमां ते शब्द कया अर्थमां प्रयोजायो छे, तेनुं निर्धारण-आपे छे. शब्दे शब्दे आटला कोषोना हवाला तथा अर्थोनो मेळावडो अन्यत्र भाग्ये ज जोवा मळे. दा.त. श्लोक १मां 'अथ' शब्दना अर्थनी चर्चा जुओ. वधुमां, शब्द तथा तेना अर्थना निश्चय माटे मात्र शब्दकोशोनो ज हवालो लीधो छे एवं नथी; ते उपरांत, अनेक स्थळे, गीता, सांख्यकारिका, स्मृति, संगीतशास्त्र, इत्यादिना सन्दर्भो पण उद्धृत कर्या छे, अने तेना आधारे अर्थ-वर्णन तथा अर्थनिर्णय पण कर्या छे. दा.त. श्लोक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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