Book Title: Pujapankaj Bhaskar
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ना सत्कृता यथासुखं कालं निन्युः, पश्चात् पूर्वजस्थापितधर्मपरायां मुनिसन्ततौ / / शृङ्गारादिरसप्रधानकाव्यनाटकादिजनितारो महाकवयः, काव्यादिगुणदोषविवे चककारिकादिग्रन्थोत्पादका नाट्यालङ्कारतत्त्वज्ञा गीतवाद्यनृत्यादिकलानिपुणा भरतादयश्च स्वधर्मपरायणा एव सम्बभूवुः ततस्तन्मार्गवर्तिनः कालिदासादयो / पितत्कालीनन्पैः सभाजिता मुमुदिरे. तदनु उदग्दिगायातयवनैराजवत्यस्मि न्देशे गीर्वाणभारती बहुलपक्षचन्द्रइवानुदिनं हासमेवाप्नोदाप्नोति च. तथा विद्व जनदौलश्यजनितवेदशास्त्राद्यपरिशीलनशालिलादर्वाचीनानां प्रायशः सदाचार, For Private and Personal Use Only

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