Book Title: Pruthviraj Vijay Ek Aetihasik Mahakavya
Author(s): Prabhakar Shastri
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf
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डॉ० प्रभाकर शास्त्री
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शासन किया था । वंशावलियों से यह सभी संख्या सिद्ध है । महाराज उदयकरणजी के आठ पुत्रों के नाम इस प्रकार मिलते हैं
" (१) नरसिंह ( २ ) वरसिंह (३) बालाजी ( ४ ) शिवब्रह्म ( ५ ) पातल ( ६ ) पीथल (७) नाथा (८) पीपाजी ।"
इनकी तीन रानियों के विषय में इतिहास का साक्ष्य इस प्रकार है
" ( १ ) सीसोदरा जी राणा दुदा हमीर की ( २ ) सोलंखणी जी राव सातल बली की बेटी ( ३ ) भागा चौहाण जी पुष्पराज की पुत्री थे । इनके बनवीर ( २ ) जैतसी और (३) कांधल तीन पुत्र हुए थे ।"
पद्य हैं
" तेनासौ तनयेन प्रोदितमना राजा जितारिवली रामाभि: तिसृभि विभुज्य बहुलं भौमं चिरं सत्सुखम् । स्वसौख्याभिमुखो बभूव स तदा सप्तानुजो बुद्धिमान् सूनुस्तस्य जुगोप गोपतिरिव प्रोछन् माही तिस्त्रो सौरमयन्वधूरवहितो श्रीर्जनयां बभूव
मण्डलम् ||७६४ ।। निर्धूतवैज प्रभावोज्ज्वलान् । व्रजन्नाकिनां
लब्ध
तनयास्तासु राज्यमर्जितयशाधाम
श्रीनुग्रानपि
सत्सूनौ वनवीर नामति निजं सर्वं स राजं दधी ।। " ६५||
१५. महाराज वनवीरजी ( भाद्रपद कृ० ६ सं १४८५ से आश्विन कृ० १२ सं० १४६६ )
इनकी भी कोई उल्लेखनीय घटना नहीं है । इनके ६ रानियां थी और ६ पुत्र थे परन्तु इस काव्य
में उनके ५ पुत्रों का ही उल्लेख है । इतिहास में लिखा है
“ इनके ६ रानियां थी । ( १ ) उत्सव रंगदे ( तंवरजी) कंवल राजा की (२) राजमती (हाडीजी) गोविन्दराज की (३) कमला ( सीसोदणीजी) कीचचाकी ( ४ ) सहोदरा (हाडीजी) बाधा को ( ५ ) करमवती ( चौहाणजी) बीजा की और ( ६ ) गौरां ( वघेलीजी) रणवीर की थी । इनके पुत्र १. उद्धरण २. मेलक ३. नरो ४. वरो ५. हरो श्रौर ६ वीरम थे ।" ( पृ० ३२)
पद्य है -
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बड़जानि: स षडानन श्रियमपि स्वस्मिन्समावेशयन् लब्धं राज्यमवत् पितुर्भुजबलै जित्वारिपून् दुर्जयान् || पंचोत्पाद्य सुतान् प्रकामसुभगान् भुक्त्वा च भौमं सुख पात्रे वित्तमपि प्ररणीय बहुल यातिस्म दिव्य
श्री उद्धरण जी ( श्राश्विन कृ० १२ सं० १४६६ से स० १५२४ मार्गशीर्ष कृ १४ )
इनके चार रानियां थी । पुत्र
पदम् ।।७६६।। "
एकमात्र श्री चन्द्रसेन जी थे । इतिहास में इनके नाम ये हैं
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