Book Title: Prayashchitta Sangraha
Author(s): Pannalal Soni
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 200
________________ (12) यः श्रीगुरूपदेशेन + 164 | सप्तपादेषु निष्पिच्छ 465122 सप्रतिक्रमणं मूलं 38 120 रात्रौ ग्लानेन भुक्ते | समितीन्द्रियलोचेषु 71 132 रूपाभिधातने चित्त 138. सरटादिजीवघाते 24 171 रेतोमूत्रपुरीषाणि 147 158 सल्लेखनेतरे ग्लाने 79, 136 सदिभक्षणात् लोहोपकरणे नष्टे 84 137 सर्वस्वहरणं तस्य 20:114 सर्वे स्वामिवितीर्णस्य 2013 वस्त्रस्य क्षालने 148 साधूनां यद्वदुद्दिष्टं 114147 वस्त्रयुग्मं सुबीभत्स 119 148 सांधूपासकबालस्त्री. 1109 विधिमेवमतिक्रम्य 91 140 सामाचारसमुद्दिष्ट 115 47 वियणेणं वीयंतो + 148 / सुतामातृभगिन्यादि 150 59 वैयावृत्यानुमोदेऽपि 98 142 सुवर्णाद्यपि दातव्यं 145 56 वंजण मंगं च ___ + 136 सूत्रार्थदेशने शैक्ष्ये 82 37 वंदनानियमसे 12.9 सौवीरं पानमाम्नातं 141:55 व्यायामगमने मार्गे 118 संस्तराशोधने देये स्तनभारादिना बालो शपथं कारयित्वाथ 129 स्त्रीगुह्यालोकिनो 31 117 शश्वद्विशोधयेत्साधुः 88 139 स्त्रीजनेन कथालापं 27 116 शिलोदरादिके सूत्र 28 116 शिष्ये तस्मिन् परित्यक्ते 110 146 स्नानं हि त्रिविधं प्रोक्तं 136 153 शूद्राणां पक्षमात्रं तत् 53 169 स्थातुकामः स 2916 श्रमणच्छेदनं यच्च 137 154 स्पर्शादीनामतीचारे 6329 स्यात्सम्यक्त्त्वव्रत 8036 षण्णां स्याच्छावकाणां 139 137 स्वच्छंदशयनाहारः 99 142 षट्रिशन्मिश्रभावार्क स्वपरार्थप्रयुक्तैश्च 121 षष्ठं मासो लघुर्मुलं 9 108 स्वकं गच्छं विनिर्मुच्य 104 144 स्वाध्यायरहिते काले 60 27 सकृच्छून्ये समक्ष 18 112 स्वाध्यायसिद्धये साधो 58127 सकृत्प्रासुकासेवे 75 134 सदृष्टिपुरुषाः शश्व 157 161 हस्तेऽस्थिदर्शने 18 169 सद्योलंबितगोघात 149 158 हस्तेन हन्ति पादेन / स नीचोऽप्यश्नुते शुद्धि 128 151 ' हिमे क्रोशचतुष्केणा 37 92 540 6 107 41 2 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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