Book Title: Pratigyasutra
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir या। करविन्यस्यदक्षिणं॥२०॥प्रसन्नमानसोभूत्वाकिंचिन्निम्नमधोमुशि० खं // प्रणवंप्राक्मयुंजीतव्याहतीस्तदनंतरं॥ 21 // सावित्रींचानु / पूर्येणततोवेदानसमारभेत्। कूर्मोङ्गानीवसंहत्यचेष्टादृष्टिं दृढंमनः E॥२२॥स्वस्थःप्रशांतोनिीतोवर्णानुच्चारयदुधः॥नाश्याहन्यान्न निहन्यान्नगायेनैवकंपयेत्॥ २३॥यथैवोच्चारयेद्वांस्तथैवैतान्स मापयेत् // निवेश्यदृष्टिंहस्ताग्रेशास्त्रार्थमनुचितयेत्॥२४॥समा मुच्चारयेद्वर्णान्हस्तेनचमुखेनच // स्वरश्चैवतुहस्तश्चद्वावेतौयुगप **************************** For Private and Personal Use Only

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