Book Title: Prashnottar Vakya Ratna Sangraha Author(s): Charushilashreeji Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 2
________________ जून - २०१२ ३१ प्र० ॥ विष कयुं ॥ ? उ० ॥ गुरुमां अविश्वास ते ॥ प्र० ॥ संसारमा सार शुं छे ॥ ? उ० ॥ पोतानुं वा परनुं सारं करवु ते ॥ अथवा उद्योग करवो ते ॥ प्र० ॥ मदिरापान कयुं ॥ ? उ० ॥ मोहनुं उत्पन्न थर्बु ते ॥ प्र० ॥ स्नेह कोने कहेवो ॥ ? उ० ॥ सुधर्ममां स्नेह ते ॥ प्र० ॥ चोर कोण ॥ ? उ० ॥ पंचेंद्रियना जे विषयो ते । प्र० ॥ संसारवल्ली कई ॥ ? उ० ॥ तृष्णा ॥ प्र० ॥ वैरी कोण ॥ ? उ० ॥ अनुद्योग ॥ प्र० ॥ जगतमां भय कोनो छे ॥ ? उ० ॥ रणनो ॥ प्र० ॥ घणोज अन्ध कोण ॥ ? उ० ॥ संसाररागी ॥ प्र० ॥ शूरवीर कोण ॥ ? उ० ॥ कामिनीना कटाक्षथी नहि पीडा पामे ते ॥ प्र० ॥ श्रवणीय शुं ॥ ? उ० ॥ सदुपदेश ॥ प्र० ॥ महत्तानुं मूल कयुं ॥ ? उ० ॥ अयाचना ॥ प्र० ॥ पार न पमाय एवं शुं ॥ ? उ० ॥ स्त्रीचरित्र ॥ प्र० ॥ चतुर कोण ॥ ? उ० ॥ स्त्रीचरित्रथी अखण्डित रहे ते ॥ प्र० ॥ दारिद्र कयुं ॥?Page Navigation
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