Book Title: Pramey Kamal Marttand
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Satya Bhamabai Pandurang

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Page 915
________________ सङ्केतविवरणम् ७५३ सम्बन्धपरी० सम्बन्धपरीक्षा धर्मकीर्तिविरचिता तिब्वतीयभाषोपलब्धा । ५०४-५०६,५०९-५१११ सन्मति० टी० सन्मतितर्कटीका (गुजरात पुरातत्त्वमन्दिर अहमदाबाद ) १४, २५,२९,३१,३८,३९,४२,४४,४६,५६,५९,६०-६३,६५,६७,७०-७४, ७७-८०,८२,९०-९२,९४,९८,१००,१०७,१०८,११२,११६,१२६, १२७,१२९,१३०,१३२,१३५,१३६,१३९-१४२,१४४,१४६,१४७, १६०-१६९,१७२-१७४३ सांख्यका० सांख्यकारिका ( चौखम्बा सीरिज काशी) ८८,८९,९८-१००, २८५-२८९ सांख्यका० गौडपादभा० सांख्यकारिकागौडपादभाष्यम् (,, ,,) ९८,१०१। सांख्यका० माठरवृत्ति सांख्यकारिकामाठरवृत्तिः ( , , ) ९८,१०१५ सांख्यप्र० भा० सांख्यप्रवचनभाष्यम् (चौखम्बा सीरिज काशी) १९॥ सांख्यसं० सांख्यसंग्रहः सौन्दरनन्द० सौन्दरनन्दमहाकाव्यम् (पंजाव युनि० सीरिज) ६८७॥ स्फुटार्थः स्फुटार्थ-अभिधर्मकोशव्याख्या ( बिब्लोथिका बुद्धिका सीरिज रशिया) १३६॥ स्था० मं० स्याद्वादमञ्जरी (रायचन्द्रशास्त्रमाला बम्बई) ९४,९८,११३,१३४॥ स्या० रत्ना० स्याद्वादरत्नाकरः (आर्हत्प्रभाकरकार्यालय पूना) १४,१९,२०, २८-३०,३३,३५,३६,३८-४०,४२-५२,५६,५९,६२,६५,६७-७५,७७, ७९,८०-८३,८५-८७,८९,९१,९२,९४,९६,९८-१०२,१२०-१२३, १२५,१३२,१३३,१३५-१३९,१४७,१४८,१५७,१५९,१६१,१६२,१६७, १६८,१७१। हेतुबिन्दुटीका अर्चटकृता लिखिता (पं० सुखलालसत्का B.H.U. काशी) १४॥ मीमांसाभाष्यपरि० मीमांसाभाष्यपरिशिष्टम् (मद्रास यूनि० सीरिज) १५६।

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