Book Title: Pramanmimansa
Author(s): Hemchandracharya, Sukhlal Sanghavi, Mahendrakumar Shastri, Dalsukh Malvania
Publisher: Saraswati Pustak Bhandar Ahmedabad

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Page 182
________________ AR A प्रमायामीमांसाया; [पृ० 12, पं० 14. . शाखे दुरवगाहार्यतत्त्वं राष्ट्र हि केवलम् / ज्योतिर्मानादिवत् सर्प स्वत एव प्रणेभिः / / -न्याययि० 3. 28, 75, 80 / "ज्योतिर्ज्ञान ज्योतिशास्त्रम्, मादिशब्दादायुर्वेदादि संग सवयथा ज्योति:शावादी सत्ता सष्ट हैसदर्शनस्य समर्थितस्यात् बद्वदन्यदपि सर्व सतह मेवान्यथा तद्विक्यानुपदेगालिङ्गानन्वयव्यतिरेकाविसम्हादिशासप्रायनानुपपसः / -न्याषिक टी० लि. पृ०. 563 / 10. 12. पं० 17. सर्वमस्ति'-गुलना-स्थाद्वादम का. 14 / "सदेव सर्व को नेच्छेत् स्वरूपादिचतुष्टयात् / असदेव विपर्यासात् न चेन व्यवतिष्ठते ।।"-प्राप्तमी० का० 15 / / "स्वरूपपररूपाभ्यां नित्यं सदसदात्मके ! वस्तुनि ज्ञायते कैश्चिद्र किंचित् कदाचन / / श्लोकश्रा० अभाव. श्ला० 12 / पू०. 12. पं० 27. 'झानममति'-तुलना-शास्त्रा० 3.2 / "इतिहासपुराणेषु ब्रह्मादियोपि सर्ववित् / भानमविषं यस्य वैराग्य चेति कीर्तितम् / / " तस्वसं० फा० 3166 / 10. 12. 50 30. 'यत्कुमारिला'-तुलना-" एतावत्कुमारिलेनोक्त पूर्वपक्षीकृतम् .. 1 तस्वसं 0 50 पृ०८३६-४ | पू०.१३.६० 1. 'माः सर्वत-यहाँ था. हेमचन्द्र ने कुमारिल के प्रति जैसा साम्प्रदायिक रोष व्यक्त किया है वैसा ही कुमारिख, शहराचार्य प्रादि ने बुख मादि के प्रति व्यक्त किया है। -"EREर्माविकमेव च मेन त्रिय सता प्रवक्तत्वप्रविणही प्रविपत्री स धर्ममविप्लुसमुपदेस्यतीति क: समाभास: "तन्त्रवा० पृ. 116 // s alimoniashlusivisimiligminenimiriNitrintainstitional 20 पृ० 14. पं०८ 'बापकामावा-इस सूत्र का जो विषय है उसे विस्तार और पारीको के साथ समझने के वास्ते तवसंग्रह की 'प्रतीन्द्रियदर्शिपुरुवपरीक्षा का-घोविताखिलवस्तुः स्यादित्यत्रोक्तं न पायकम्" ( का० 3266 } से-"तस्मात्सर्वज्ञसदभाषबाधक नास्ति किचन ( का० 3307) सक का भाग पत्रिका सहित खास देखने योग्य है, जो मीमांसको के पूर्वपन का खासा जबाव है। पृ०. 14. 50 5. 'सुनिश्चिता'-तुलना-श्राप्तप, का० 16 / "दस्ति सुनिश्चिवासभाषकप्रमाणत्वात् सुखादिवत-सी elammaNHAREine HRIRRRRRRRRRRRRRRRRRIORIES AMRRRRRRRRRRRRE REETERRRRIKARLESBIAARI ARRRRRRRRRRRRRRRARIRRRRRRE MINIMiniviviwwwwINRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRREE HAMARAHMIRIRRRRRRRIA MIMARRARAMMARRIERMERRIERRRRRRRRRRE AMMARRAAMANNA RIMARIAARAMMMMMMMMMMARITALIORRORIODI CICICIA

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