Book Title: Prakrit Path Chayanika Prarambhik Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 13
________________ आचाराङ्गसूत्र राढ़देशे महावीरः 1. तणफास सीतफासे य तेउफासे य दंसमसगे य / अहियासते सया समिते फासाइं विरूवरूवाइं // 1 // 2. अह दुच्चरलाढमचारी वज्जभूमिं च सुब्भभूमिं च / पंतं सेज्ज सेविंसु आसणगाई चेव पंताई // 2 // 3. लाढेहिं तस्सुवसग्गा बहवे जाणवया लूसिंसु / अह लूहदेसिए भत्ते कुक्कुरा तत्थ हिंसिंसु णिवतिंसु // 3 // 4. अप्पे जणे णिवारेति लूसणए सुणए डसमाणे / छुच्छुकारेंति आहंतु समणं कुक्कुरा दसंतु त्ति // 4 // 5. एलिक्खए जणे भुज्जो बहवे वज्जभूमि फरुसासी / लढेि गहाय णालीयं समणा तत्थ एव विहरिंसु // 5 // 6. एवं पि तत्थ विहरंता पुट्ठपुव्वा अहेसि सुणएहिं / संलुंचमाणा सुणएहिं दुच्चरगाणि तत्थ लाढेहिं // 6 // 7. णिधाय डंडं पाणेहिं तं वोसज्ज कायमणगारे / अह गामकंटए भगवं ते अधियासए अभिसमेच्चा // 7 //

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