Book Title: Prakirnak Sahitya Ek Parichay
Author(s): Sushma Singhvi
Publisher: Z_Jinavani_003218.pdf

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Page 14
________________ - - |प्रकीर्णक-साहित्य : एक परिचय : : : : 4731 ठाणाग सूत्र ; आगमोदय समिति, सूरत, सूत्र ७५५५ व्यवहार सूत्र; (सम्पा.) कन्हैयालाल कमल, आगम अनुयोग ट्रस्ट अहमदागद, उद्देशक १० पाक्षिक सूत्र, देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार समिति, पृ. ७६-७७ धवला पुस्तक १३ खण्ड Viभाग V/ सूत्र ४.. पृ.२७६. उघृत जैनेन्द्र सिद्धान्त कोष , भाग ४, पृ.७० विधिमार्गप्रपा (सम्पा.) जिनविजय, पृ. ५७-५८ : प्रकीर्णक साहित्य : मनन और मीमांसाः (सांपी.) सागरमल एवं सुरेश सिसोदिया, आगम अहिंसा समता एव प्राकृत संस्थान, उदयपुर, १९९५ में प्रकाशित लेख 'अगम साहित्य में प्रकीर्णकों का स्थान, महत्व रचनाकाल एवं रचयिता, नृ.२,३ --वही – 'प्रकोणकों को पाण्डुलिपियाँ और प्रकाशित संस्करण', पृ. ६८ (अ) देवेन्द्र मुनि ; जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा, पृ.३८.८. (ब) मुनि नगरःज: आगम र त्रिपिटक : एक अनुशीलन, पृ.४८६ (स) शास्त्री, डॉ. कैलाश चन्द्र : प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, पृ.१९७ ११. पइएणयसुत्तःई; (सम्पा.) मुनिपुण्यविजय, महावीर जैन विद्यालय, बम्बई, १९८४ भाग १, प्रस्तावना पृ. २१ अभिधान राजेन्द्र कोष, भाग २, पृ. ४१ कोठारी, सुभाष : देविंदत्थओ, आगम संस्थान ग्रन्थमाला, उदयपुर १९८८, भूमिका पृ. xxxiv से xxxxi कोठारी, सुभाष : तंदुलवेयालियपइण्णयं, आगम संस्थान ग्रन्थमाला, उदयपुर १९९१ "तंदुलवेयालियं ति तन्दुलानां वर्षशतायुष्कपुरुषप्रतिदिनभोण्यानां संख्या विचारेणोपलशितो ग्रन्थविशेषः तन्दुलवैचारिकमिति ” पाक्षिकसूत्रवृत्ति, पत्र १३ १६. (अ) आवश्यकचूर्णि, (सम्पा.)ऋषभदेव केशरीमल, श्वेताम्बर संस्था, रतलाम,१९२९, भाग २, पृ.२२४ (ब) निशीथचूर्णि, भाग ४, पृ. २३५ (स) दशवैकालिकचूर्णि, रतलाम, १९३३, पृ. ५ १७. तंदुलवेयालियपइण्णय, उदयपुर, पृष्ठ ८ ५८. "त एवं अद्धत्तेवीसं तंदुलवाहे भुंजतो ----..---- एयं गणियपमाण दुविहं भणियं महरिसीहि ...' तंदुलवेयालियपइण्णय, ८०, पृ. ३२ ववहारणियदि8 सुहुयं विनिच्छयगय मुणेयध्वं । जइ एवं न वि एवं विसमा गण्णा मुणेयध्या ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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