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संख्याsभूत रहावर्गी १ बीजावर्गी २ खेतावर्गी ३ ॥ इति जातिश्रभूत् ॥
॥ कडखानी छन्द ॥
करत कल्याण कल्याण आतम तणां रूप कल्याण को देहधारी गोत्र पालावत लक्ष्मणपुर नें विषै हुयो कुल चन्द श्रानन्दकारी ॥ १ ॥ किशन चन्द तात अरु मात महिमा तवें हर्ष पाभ्यो थयो सुख भारी अधिक उद्योत निश दिवस जग दीपतो धर्म धारी ॥ २ ॥ तज निज नार घरबार तज जिन भजे योग साधे महा ब्रह्मचारी भवि जन निशि दिवस पद वंदतां सकल सुख सम्पदा होत सारी ॥ ३ ॥ सुरि छत्तीस छत्तीस गुण धारणों अधिक श्रपमा दीपे श्रङ्ग सारी जोर युगपान कवि राम की इति कहत सूरि कल्याण जिन श्री हमारी ॥ ४ ॥ इति
- स... मा. प्त