Book Title: Pathikvaggatthakatha Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri View full book textPage 3
________________ धम्मगिरि-पालि-गन्थमाला-६ [देवनागरी] दीघनिकाय एवं तत्संबंधित पालि साहित्य ग्यारह ग्रंथों में प्रकाशित किया गया है। प्रथम आवृत्तिः १९९८ ताइवान में मुद्रित, १२०० प्रतियां मूल्य : अनमोल यह ग्रंथ निःशुल्क वितरण हेतु है, विक्रयार्थ नहीं। सर्वाधिकार मुक्त। पुनर्मुद्रण का स्वागत है। इस ग्रंथ के किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन के लिए लिखित अनुमति आवश्यक नहीं। ISBN 81-7414-055-7 यह ग्रंथ छट्ठ संगायन संस्करण के पालि ग्रंथ से लिप्यंतरित है। इस ग्रंथ को विपश्यना विशोधन विन्यास के भारत एवं म्यंमा स्थित पालि विद्वानों ने देवनागरी में लिप्यंतरित कर संपादित किया। कंप्यूटर में निवेशन और पेज-सेटिंग का कार्य विपश्यना विशोधन विन्यास, भारत में हुआ। प्रकाशक: विपश्यना विशोधन विन्यास धम्मगिरि, इगतपुरी, महाराष्ट्र- ४२२४०३, भारत फोन : (९१-२५५३) ८४०७६, ८४०८६ फैक्स : (९१-२५५३) ८४१७६ सह-प्रकाशक, मुद्रक एवं दायक : दि कारपोरेट बॉडी ऑफ दि बुद्ध एज्युकेशनल फाउंडेशन ११ वीं मंजिल, ५५ हंग चाउ एस. रोड, सेक्टर १, ताइपे, ताइवान आर.ओ.सी. फोन : (८८६-२)२३९५-११९८, फैक्स : (८८६-२)२३९१-३४१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 326