Book Title: Paryushan parva Ek Vivechan Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Z_Shwetambar_Sthanakvasi_Jain_Sabha_Hirak_Jayanti_Granth_012052.pdf View full book textPage 1
________________ पर्युषण पर्व : एक विवेचन प्रो. सागरमल जैन १९९८ जैन विदया के आयाम खंड ५ ...... Table of Contents पर्युषण पर्व : एक विवेचन.. प्राचीन आगम साहित्य पर्युषण पर्व का इतिहास.... पर्यषण (पज्जोसवण) शब्द का अर्थ. पर्यषण के पर्यायवाची अन्य नाम................ पज्जोसवणा (पर्यशमना)................... पज्जोसवणा/परिवसणा (परिवसना)... पज्जूसण (पर्युषण). वासावास (वर्षावास). पागइया (प्राकृतिक)............ पढमसमोसरण (प्रथम समवसरण).. परियायठवणा/परियायवत्थणा (पर्याय स्थापना)...... .............. ठवणा (स्थापना)... ................ जेट्ठोवग्ग (ज्येष्ठावग्रह)......... ...............6 अष्टाह्निक पर्व................. .................6 दशलक्षण पर्व... ............... पर्युषण (संवत्सरी) पर्व कब और क्यों?. कल्पसूत्र एवं निशीथ का उल्लेख. निशीथचूर्णि का उल्लेख....... जीवाभिगमसूत्र का उल्लेख........... समवायाङ्गसूत्र का उल्लेख .......... ................................................ निशीथ का उल्लेख.............. सांवत्सरिक प्रतिक्रमण तिथि भिन्न कैसे हो गई?....... निशीथचूर्णि और कल्पसूत्र की टीकाओं में भाद्र शुक्ल चतुर्थी को संवत्सरी का उल्लेख कालक आचार्य की कथा............. पर्युषण/दशलक्षण और दिगम्बर परम्परा ............... समन्वय कैसे करें?. ............ सम्पूर्ण जैन समाज की एकता की दृष्टि का विचार ................. ................................................... पर्युषण में पठनीय आगम ग्रन्थ. कल्पसूत्र वाचन की परम्परा - श्वेताम्बर मर्तिपजक में अन्तकृत् दशाङ्गसूत्र के वाचक की प्रथा - स्थानकवासी और तेरापंथी में... तत्त्वार्थसूत्र के दस अध्यायों के वाचन - दिगम्बर परम्परा में. पर्युषण (संवत्सरी) के आवश्यक कर्तव्य.. .......................... 1. तप/संयम...... .......................................... 2. सांवत्सरिक प्रतिक्रण/वार्षिक प्रायश्चित्त.............. 3. कषायों का उपशमन/क्षमायाचना.. MAAWwN00000NNN0000000 Unr neeew N ............. ................. ............. ............... ......................... ................. Page |1Page Navigation
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