Book Title: Parambika Stotravali
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (8) लिखितुं द्विजिहिका कथंसमर्थाद्यभवेद्धिलेखिनी // यतोनि वृत्ताःकवयोऽल्यबुद्धिना मयाकुतोवर्णयितुंप्रशक्यते // 3 // पुरातनीक्षत्रियवंशरीतिका स्वशास्त्रविद्याध्ययनस्ययापिसा / / अलंकृताभूपकिलाघसर्वत स्त्वयामहापुण्यवतामनीपिणा // 4 // किलायजातंममपूर्वजन्मतः सुकर्मभोगावदीयदर्श नम् // सदाहिषापछिदिहैवमादृशा सपुण्यपुंसां भयदायक चिराम् // 5 // __ श्री // मानसिंहात्माजेनेयं मरुभूमिर्विराजते // हेमसिं हेन सततं भारत्यासोपकारया // 1 // ययासंविश्रुताकीर्ती राजस्ते भुवि निर्मला // मन्येतयाभवद्वक्रे गिराकिलकृता स्थितिः // 2 // // श्री नावारापण्डित कृत श्लोकः // श्रीमत्स्वर्णमृगेन्द्रततिविशदा कोटीन्दुस्वछप्रभा कीर्तिः क्ष्मातलतोड़गातवपितुः कस्यालयेसंस्थिता ॥श्रीमन्मानमृगे न्द्रनामतरणेनि क्षपानाशिनोतस्यत्वं समभूस्तदाश्रितगुणं पातामुमामाधवौ // 1 // // श्रीराधाकृष्णाभ्यांमनः // टीका-हे श्रीमत्स्वर्णमृगेन्द्रतेतवकीर्तिः अतिविशदा संस्थिताअति विशदत्वे हेतुः कोटीन्दुस्वछप्रभा तवपितुः स्व For Private and Personal Use Only

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