Book Title: Panna Samikkhae Dhammam Author(s): Amarmuni Publisher: Z_Pragna_se_Dharm_ki_Samiksha_Part_02_003409_HR.pdf View full book textPage 8
________________ होने वाले उग्रवादी या आतंकवादी जैसे उपद्रवों के काले बादल सहसा छिन्न-भिन्न हो सकते हैं। और, मानव अपने को मानव के रूप में पुनः प्रतिष्ठित कर सकता है। मृत होती हुई मानवता को जीवित रखने के लिए स्वतन्त्र चिन्तन के रूप में प्रज्ञा की ऊर्जा ही काम दे सकती "नाऽन्यः पन्था विद्यतेऽयनाय" संदर्भ 1. उत्तराध्ययन, 23, 25. 2. धम्मं तत्त विणिच्छयं। 3. सुत्तं तु सुतमेव उ। --उत्तराध्ययन, 23, 25 वही. -बृहत्कल्प भाष्य एवं टीका, 309 * प्रज्ञा से धर्म की समीक्षा - द्वितीय पुष्प Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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