Book Title: Pani Piyush Payasvini
Author(s): Ramyarenu
Publisher: Omkar Sahitya Nidhi

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Page 13
________________ श्रीगुरुवन्दना ( शार्दूलविक्रीडितवृत्तम ) भद्रो भव्य कभद्रकृद् भवभयं भिनत्ति भूभूषणः । भद्रं भव्य ! भवित्वभासनभरं भावेन भूयो भज ॥ भद्रेण भ्रमभाविनी च भणिता भक्तिगमा भारती । भद्राय भ्रमिभेदिने भगवते भाक्तो भजेद् भावतः ॥ १ ॥ भद्राद् भीतभगन्दरादिभयतो भृयाद् भवोद्भेदनम् । भद्रस्याभिधभावनं भवरुजः मेषगू भूतं भद्रदम् ॥ भद्रेऽभ्लाषत भूतभद्रकमरा भागीरथी भासुरा । भद्र ३ ! भोः ! भवदीय भास्वरपद रेणूभवान्याभवम् ॥२॥ युग्मम् ॥ ॐकारोऽयमलं कलौ स्ववसनैकस्थानमेवामतः । ॐकारं तत आश्रितो गुणततिः सत्पुष्प्रे षट्पादवत् ॥ ॐकारेण विना न मन्त्र इषिदः कीदृङ्महत्ताभिधे । ॐ काराय नमः क्षमासुरसरिद्धेमाद्रये श्रीमते ॥१॥ ॐकारात् प्रसृता प्रबोधहितदा वागू सिद्धिवात्सल्यधा । ॐकारस्य बभूवतुः परविदौ स्निग्निर्झरन्त्यौ दृशौ ॥ ॐकारे परमेष्ठिपञ्चकमभृत् भक्तैः सदाऽऽसेविते । ॐ कार ! भवतस्सुरम्यपद रेणूस्यां सदैकैषणा ||२|| युग्मम् ॥

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