Book Title: Panchshati
Author(s): Vidyasagar, Pannalal Sahityacharya
Publisher: Gyanganga

View full book text
Previous | Next

Page 370
________________ व्यक्तित्व - कर्नाटक, बेलगाम के सदलगा की मृदु-मिट्टी से मलप्पा व श्रीमति जी ने सृजा / गृह की द्वितीय संतान होकर भी अद्वितीय है / शैशव से ही सन्त दर्शन की भावना अतृत्प रही, समय-समय पर तृप्ति यत्किंचित हुई / कौमार्य की दौड़ से कहीं तेज दौड़ कर राजस्थान की मरुभूमि में प्रवेश कर आचार्य श्री ज्ञानसागर जी से दीक्षित हो विद्याबुद्धि/प्रतिभा/संयम/सेवा और अनुभव का संपोषण किया / तभी तेजस्वी वदन के अन्दर आध्यात्मिक कवि-हृदय का स्फुरण हुआ वमंद स्पन्दित ओष्ठों से धर्म की गाथा आरम्भ हुई, जो अद्यावधि अबाध वृद्धिंगत है। यौवन की दहलीज पर पग थमाते ही धर्म-निकष-प्रदेश बुन्देल खण्ड में दाखिला ले, सुकोमल सुर्ख कनकाम तन से निरीह हो यथासूत्र धर्माचरण प्रस्तुत कर एकाधिपत्य जाहिर करते हुए स्वैर/स्वतन्त्र विचरण कर रहे है। यहाँ पायी इन्होंने मानव के अंदर उठती/उड़ती जिज्ञासाओं की चिड़ियों को पहचानने की अनुपम दृष्टि और आत्मानुशासन के धरातल पर जिन शासन की अश्रुत पूर्व बागडोर। एकाकी साधना के दुर्गमों में विचरते हुए अनुभूतियों की लेखनी से श्वेत पृष्ठों को रंगा और रंगते ही जा रहे हैं बहु भाषाविद् हो साहित्य जगत में प्रवेश कर / कृतित्व - नर्मदा का नरम कंकर/डूबोमत, लगाओ डुबकी/तोता क्यों रोता., मूक माटी महाकाव्य / (काव्य संग्रह) पाँच संस्कृत शतक हिन्दी / पद्यमय! एवं अनेक जैन ग्रन्थों का पद्यानुवाद और कुछ हिन्दी अंग्रेजी की स्फुट रचनाएँ भी। जन्म - शरद पूर्णिमा संवत् 2003 दीक्षा - आषाढ़ शुक्ला 2025 आचार्य पद - मार्गशीर्ष कृष्णा 2-2029

Loading...

Page Navigation
1 ... 368 369 370