Book Title: Padmavati Havan
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Nirgrantha Foundation Ahmedabad
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संतिकरं संतिजिणं जगसरणं जयसिरीइ दायारं। समरामि भत्तपालगनिव्वाणिगरुडकयसेवं ॥१॥ ॐ स नमो विप्पोसहिपत्ताणं संतिसामिपायाणं। झौँ स्वाहा मंतेणं सव्वासिवदुरिअहरणाणं ॥२॥ ॐ संतिनमुक्कारो खेलोसहिमाइलद्धिपत्ताणं। सौं ह्रीं नमो सव्वोसहिपत्ताणं च देइ सिरिं॥३॥ वाणी तिहुअणसामिणि सिरिदेवी जक्खरायगणिपिडगा। गहदिसिपालसुरिंदा सया वि रक्खंतु जिणभत्ते ॥ ४ ॥ रक्खंतु मम रोहिणी पन्नत्ति वज्जसिंखला य सया। वजंकुसि चक्केसरि नरदत्ता कालि महाकाली ॥५॥ गोरी तह गंधारी महजाला माणवी य वइरुट्टा। अच्छुत्ता माणसिआ महामाणसिया उ देवीओ॥६॥ जक्खा गोमुह महजक्ख तिमुह जक्खेस तुंबरू कुसुमो। मायंग विजय अजिया बंभो मणुओ सुरकुमारो॥ ७ ॥ छम्मुह पयाल किन्नर गरुलो गंधव्व तहय जक्खिंदो। कुबेर वरुणो भिउडी गोमेहो पासमायंगा॥८॥ देवीओ चक्केसरी अजिया दुरिआरि कालि महाकाली। अच्चुअ संता जाला सुतारयाऽसोय सिरिवच्छा ॥९॥ चंडा विजयंकुसी पन्नइत्ती निव्वाणि अच्चुआ धरणी। वइरुट्टऽच्छुत्त गंधारी अंब पउमावइ सिद्धा ॥ १० ॥ इअ तित्थरक्खणरया अन्ने वि सुरासुरी य चउहा वि। वंतर जोइणी पमुहा कुणंतु रक्खं सया अम्हं ॥११॥ एवं सुदिट्ठिसुरगणसहिओ संघस्स संतिजिणचंदो। मज्झ वि करेउ रक्खं मुणिसुंदरसूरिथुअमहिमा॥ १२ ॥ इअ संतिनाहसम्मदिट्ठिरक्खं सरइ तिकालं जो। सव्वोवद्दवरहिओ स लहइ सुहसंपयं परमं ॥ १३ ॥

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