Book Title: Pacchakhan Bhashya Author(s): Publisher: View full book textPage 3
________________ पाणं सेवीर जवोदाइ चित्तं मुरादयं चेनाप्राउकामो सवो काजलाइयं च तहा - भत्तोमं दंताई खन्तरं नालिकेर दक्खाईकर अंबग फणसाइ नहिं खामं होडा -- ---तंबोतं चित्तं तुत्सी कहेडगाईयामा पिपलि सुंठाई अणेगहा साइमं होइारिश काभिम पालिम व सोहिम तीरियं ताक्रित्तियमारहियं वररिसाम्मी पापा भागारेहि विमुई जंगहियं फामियं तयं नेमंगतह पालियं तु भन्ना सम्म उबोगपटियरियं पा - पसरतमन्नोमणमेवणमाए यसोहि जाणापुत्र वियेवकालावत्याणे तीरियं जणाचा .....नेमणकाने प्रमुग पञ्चम्या ति भुज कित्तिभंगार गरेहिं मम्मं माराहि होदा ----------मंत्रो मुकदोसो घेवाम बि पालणा गुणकी मागुफलाघवंचनेयं घामम्मि 'प्रभो ? भागारा इना ----------- रमणीमं प्रमंतहा तिन्नोव ग्रामज्जगमई मंचना उमाहिनां च समानो --- ये महिमुट्टिपणं एलग खीराणि पंच चत्तारित हिमादयाणि जम्हा उट्टीणं ताणि नो हुंति यश --- चारि हुन दिल्या दिन-प्रमि-कुसुम मरिसवाणं चा विगईओ सेमाणं डोलाई नबिर्गा गया " संगसानाममा०बिना। JHPage Navigation
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