Book Title: Pacchakhan Bhashya Author(s): Publisher: View full book textPage 1
________________ पञ्चकक्षाण पाठय समरकंतं मेटीमहि निमरीनि / सागारमणागार परिमाण कर निररमेस पा - केम चेन अदाए पचम्साणं नुदसति समोवाणुपालणीयं ाणुगर से जेहसमाही IA होही पोसवणा मम मतमा अंतराइ हुज्जायसनेमावणं लम्सिगेसनमाराम से दायतनोकानं परिनन्नातं मणगए काले / एवं पञ्चक्लाणं अण्णगय होइ नागवं पा पज्जोसबगाइ तवं खलु नरति कारणे जाए गुरुवेशवजेणं तवम्सिगेसन्नमार काशा से कमतबोसम्म परिबन्जाइते अणिच्चिर जाने एवं पञ्चम्खागं अपकतं होर जमवंग पवणो य दिवसो पञ्चसाणम्म निढवणओ माजहियं ममिति दुन्नि वितं भन्नद कोटिसहि तुण्णा एमं पञ्चम्खाणं निरिमं पीरपुरिझपन्नतं जे गिहा प्रणगारो भणिस्मियप्पा अपडिवोडा --चरमपुवी जिणकप्पिरम पटमम्मि चेर संघय एवं सोच्छिन्नं खलु धेश वितरिं करेमी म - ---महमरगागारे हिंमन्नत्य-विकारणम्मेिजार्याम्माजे भत्तपरिचार्य करिति सागारकरा 1. मोडियम मंगविना नियमिंसविना गणु मंबरम प.मानोडा एनिमिंग तमा नमाना - --Page Navigation
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