Book Title: Nyaypraveshsutram Nyaypraveshvrutti Sahitam
Author(s): Aa Sempa Dorje
Publisher: Kendriya Uccha Tibbati Shiksha Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ प्रकाशकीय आचार्य दिङ्नाग कृत * न्यायप्रवेश' बौद्ध-न्याय के अध्ययन के लिए एक महत्त्वपूर्ण प्रन्य है, विशेषतः प्रारम्भिक जिज्ञासुओं के लिए तो यह अपने नाम के अनुरूप अपरिहार्य ही है। इस ग्रन्थ के संस्कृत तथा चीनी भाषाओं से किये गये दो अनुवाद तिब्बती भाषा में उपलब्ध होते हैं, किन्तु दोनो अनुवादों में यत्र-तत्र त्रुटियाँ रह गयी थीं। 'न्याय-प्रवेश' तथा 'न्याय-मुख' दो पृथक् ग्रन्थों को एक ही समझकर अनेक भोट विद्वानों को भ्रम भी हुआ था। इसके अतिरिक्त 'न्याय-प्रवेश' को किसी प्रामाणिक भारतीय टीका का मोट-भाषा में अनुवाद नहीं हो पाया था। इससे न्याय प्रवेश' के अध्ययन - अध्यापन में भोट-विद्वानों को असुविधा होती रही। आचार्य सेम्पा दोर्जे ने अनेक वर्षों के अथक परिश्रम से न केवल तिब्बतीअनुवादों का संस्कृत-मूल से मिला कर संशोधन किया अपितु हरिभद्रसूरि को टीका का भी तिब्बती में अनुवाद करके भोट-विद्यार्थियों के लिये एक महान् उपकार-कार्य किया है। __संस्कृत से तिब्बती में शास्त्रों के अनुवाद कार्य का जो गत सात - आठ शताब्दियों से विच्छिन्न हो गया था, श्री सेम्पा जी ने उसको पुनरुज्जीवित और भोट - भारतीय विद्याओं में लगे विद्यार्थियों को भी प्रोत्साहित किया है। इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ को संस्थान के प्रकाशन-योग्य पाकर भोट-भारतीय ग्रन्थमाला के अन्तगत प्रकाशित किया गया है। आशा है कि इससे बौद्ध-न्याय के अध्ययन के क्षेत्र में विशेष सहयोग मिल सकेगा। अनेक व्यवस्थागत कठिनाइयों के कारण इस ग्रन्थ के मुद्रण-कार्य में असाधारण विलम्ब हुआ और उत्कृष्टता आशानुसार नहीं आ पायो, तथापि यह ग्रन्थ विद्वानों के समक्ष आ सका, हम इतने से ही सन्तोष का अनुभव करते हैं। पुनः आचार्य सेम्पा दोर्जे को इस महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए साधुवाद देता हूँ। भिक्षु स० रिनपोछे प्राचार्य / निदेशक

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 428