Book Title: Nyayadipika
Author(s): Dharmbhushan Yati, Shreelal Shastri
Publisher: Pannalal Jain

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Page 49
________________ नये नियम । - सनातनजेनग्रंथमालामें सब ग्रंथ भाषाटीकासहित और चुन्नीलालजैनग्रंथमालामें केवल भाषा के छपेंगे । अब अंक न निकालकर पूरे ग्रंथ छपेंग और १) रु. डिपाजिटका भेजकर पक्के ग्राहक बननेबालोंको ग्रंथ तैयार होतेही सनातनजैनग्रंथमालाके पौनी कीमतसे और चुन्नीलालजैनग्रंथमालाके आधी कीमतसे सब ग्रंथ वी. पी. द्वारा भेजते रहेंगे । अजैनी असमर्थ विद्वानविद्यार्थियोंको बिनामूल्य । पहिलेके छपे संस्कृत ग्रंथ भी पक्के ग्राहकोंको पौनी कीमतसे भेजे जायगे । और___ जो महाशय एकमुस्त ५०) रुपये दान करके इस संस्थाके स्थायी सहायक बनेंगे, उन्हें अबसे छपनेवाले हर एक ग्रंथकी एक एक प्रति विनामूल्य पोष्टेजमात्रके वी. पी. से भेजी जायगी। विक्रयार्थ तैयार ग्रंथ । आप्तपरीक्षासटीक व पत्रपरीक्षा मूल २) समयप्राभृत दो संस्कृतटीकासहित ५) तत्त्वार्थराजवार्तिकपूर्वार्द्ध ५) उत्तरार्द्ध ५) पूर्ण ९) आप्तमीमांसाभाष्य टीका और प्रमाणपरीक्षासहित २) शब्दार्णवचंद्रिका (सटीक जैनेंद्रव्याकरण) ५) शन्दानुशासन (शाकटायनलघुवृत्ति) १ खंड २) जैनेंद्रप्रक्रिया पूज्यपाद गुणनंदिकृत १) शाकटायनधातुपाठ 14) जिनशतक संस्कृत भाषा दो टीकासहित ॥) धर्मरत्नोद्योत दोहे चौपाई १) धर्मप्रश्नोत्तर (प्रश्नोत्तरश्रावकाचार) वचनिका २) महावीरचरित्र ) न्यायदीपिका मूल ।) परीक्षामुख हिंदी और बंगानुवाद सहित ।) संस्कृतप्रवेशिनी छपरही है। पन्नालाल जैन महामंत्री-मारतीयजैनसिद्धांतप्रकाशिनीसंस्था, ठि० मदागिन जैनमंदिर पोष्ट-बनारस सिटी ।

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