Book Title: Nyayadarshanasya Nyayabhashyam
Author(s): Vatsyayan
Publisher: Manilal Iccharam Desai

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Page 498
________________ अर्थ श्रीकृष्णपञ्चकम् कादम्बहंसपरिसेवितवारिधारा फुल्लारविन्दशतशोभितमध्यभागा। कादम्बनिम्बबकुलादिलसत्तटाढ्या वृन्दावने वहति या यमुना स्रवन्ती // 1 // तस्यास्तटे परममजुलरम्यशोभे संख्याविहीनसुभगाकृतिगोसुयूथे / कामप्रियापरिभवाईसुदिव्यरूपवृन्दीभवद्रजजनीव्रजरङ्गभूते // 2 // बावतंसललितः करकङ्कणाढ्यो मुक्तावलीशतविभूषितवक्रकण्ठः। अर्धेन्दुतुल्यनिटिलः कलिकाभनासो मुग्धारविन्दविलसत्सुविलोलनेत्रः // 3 // श्रीमन्मृणालसहिताब्जमनोहरेण हस्तेन बिम्बफलसुन्दरदन्तपत्रे / वेणुं निधाय मधुरध्वनिधामरागानाऽऽलापयन् हृदयमोहनमत्रभूतान् // 4 // सूच्याद्यनेकपदपाटवकोविदेन्दुर्दिव्यप्रसूनतुलसीकृतदामवत्सः / श्रीराधिकावदनपङ्कजलुब्धचित्तो नृत्यत्यहो प्रियकिशोरतनुर्मुरारिः // 5 // अथ शिवाष्टपदी भज विषमविलोचनवेशम्। चन्द्रकिरणसमशुभ्रसुदर्शनशैलनितम्बनिवेशम् // 6 // निटिलविलोचनलोचनतः कृतभस्मशरीररतीशम् / हिमनिधिसानुसमाधिसमञ्चितचक्रधरं धरणीशम् // 1 // यामवतीपतिपूर्वकलापरिकलितविशालललाटम् / हैमवतीपरिरम्भपवित्रितचित्रितवत्सकपाटम् // 2 // व्यालवलयकमनीयकरम्बितभूषितहस्तसरोजम् / शैलसुतावदनेन्दुविलोचनचञ्चलहृदयमनोजम् / / 3 / / विष्णुपदीपरिभोगपरिष्कृततुङ्गकपर्दकतल्पम् / / गानकलाकुतुकेन नवीकृतताण्डवकल्पमनल्पम् / / 4 // भक्तजननमरणादिमहास्रवमोचनकौशलवेषम् / त्रिभुवनमण्डलमण्डनपण्डितवन्दितपादविशेषम् // 5 // विष्णुमतीयतृतीयविचक्षणवल्लभवादनिदानम् / चाटुकथाचातुर्यनिकृन्तितगिरिजामानसमानम् // 6 // / संहृतसागरमथनविनिस्मृतदारुणदारदशोकम् / मन्मथविशिखभुजङ्गविषाहतिसंहृतिसमवितलोकम् // 7 // गीतमिदं हरहर्षकरं किल सुखयतु पुररिपुदासम् / / अष्टपदीरचनेन पिनाकी वितरतु हरिपदबासम् // 8 // म. म. सी. आई. ई. श्रीगङ्गाधरशास्त्रिणामन्तेवासी पञ्चनदीयः सुदर्शनाचार्यशास्त्री काशी.

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