Book Title: Niyamsara
Author(s): Kundkundacharya, Himmatlal Jethalal Shah
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 389
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates | गामे वा णयरे वा घ घणघाइकम्मरहिया गाथा | | पृष्ठ १४४ | २७३ १४१ || २७७ १२९ । २५६ १३२ २५९ । २६० १३० । | २५७ १३१ १५१ | २९८ १०९ | | २१० १२६ । २४९ चउगइभवसंभमणं चउदहभेदा भणिदा | चक्खु अचक्खू ओही | चत्ता अगुत्तिभावं चलमलिणमगाढत्त १३३ | २५९ छायातवमादीया | छुहतण्हभीरुरोसो ९३ १७४ १७५ । ३४४ गाथा | पृष्ठ ५८ | ११२ | जो चरदि संजदो खल | जो ण हवदि अण्णवसो ७१ | १३५ | जो द अट्टं च रुदं च | जो दुगंछा भयं वेदं ८४ | जो दु धम्मं च सूक्कं च १७ | ३९ | जो दु पुण्णं च पावं च १४ | ३३ | जो दु हस्सं रई सोगं १६४ | जो धम्मसुक्कझाण१०४ | जो पस्सदि अप्पाणं जो समो सव्वभूदेसु २३ | ४९ ६ १२ | झाणणिलीणो साह ठ । १०३ | १९५ | ठाणणिसेजुविहारा १५४ | ३०३ ण १२८ | २५४ | णट्ठट्टकम्मबंधा । १२७ / २५३ | णमिऊण जिणं वीरं । १७७ | ३४८ | णरणारयतिरियसुरा १७२ ३३९ | ण वसो अवसो अवस१५९ | ३१२ | णवि इंदिय उवसग्गा ६९ | १३२ | णवि कम्मं णोकम्म ४७ ९७ | णवि दुक्खं णवि सुक्खं १५५ | ३०४ | णंताणंतभवेण स ३६० | णाणं अप्पपयासं ३८ ७५ | णाणं जीवसरूवं ३३ ६८ | णाणं परप्पयासं ३२/ ६५ | णाणं परप्पयासं ९ २१ | णाणं परप्पयासं १० २३ | णाणाजीवा णाणा१६० ३१५ ७२ | | जं किंचि मे दुचरित्तं जदि सक्का जस्स रा जस्स सण्णिहिदो अप्पा जाइजरमरणरहियं जाणंतो पस्संतो जाणदि पस्सदि सव्वं | जा रायादिणियत्ती जारिसिया सिद्धप्पा | जिणकहियपरमसुत्ते | जीवाण पुग्गलाणं | जीवादिबहित्तच्चं | जीवादी दव्वाणं | जीवादु पुग्गलादो जीवा पोग्गलकाया जीवो उवओगमओ जुगवं वट्टइ णाणं १३८ १४२ | २७९ १८० ३५४ १८१ | ३५६ १७९ | ३५२ ११८ २३४ १६५ ३२७ १७० ३३६ १६१ ३१९ १६२/ ३२१ १६४ | ३२५ १५६ | ३०६ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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