Book Title: Niryukti Sahitya Ek Punarchintan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Sagarmal Jain
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________________ नियुक्ति साहित्य : एक पुनर्षिन्तन आर्य गोविन्द -देखें नन्दीसूत्र स्थविरावली, गाथा 36-41 64. पच्छा तेण एगिदियजीवसाहणं गोविंदणिज्जुत्ती कया। एस णाणतेणो। एव दंसणपभावगसत्थट्ठा। - निशीथचूर्णि, पृ. 260 65. निण्हयाण वत्तव्वया भाणियव्वा जहा सामाझ्यनिज्जुत्तीए। ...... - उत्तराध्ययनचूर्णि, जिनदासगणिमहत्तर, विक्रम संवत् 1989, पृ. 95, 66. दाणिं एतेसि कालो भण्णति 'घउद्दस सोलस वीसा गाहाउ दो, इदाणि भण्णति-- 'चोदस वासा तइया गाथा अक्खाणयसंगहणी। वही, पृ.95 67. मिच्छट्ठिी सासायणे य तह सम्ममिच्छदिट्ठी य। तत्तो य अप्पमत्तो नियट्ठि अनियट्ठि बायरे सुहमे। उवसंत खीणमोहे होइ सजोगी अजोगी य।। - आवश्यकनियुक्ति, (नियुक्तिसंग्रह, पृ. 140) 68. आवश्यकनियुक्ति (हरिभद्र) भाग 2, प्रकाशक श्री भेरुलाल कन्हैया लाल कोठारी धार्मिक ट्रस्ट, मुम्बई, वीर सं. 2508, पृ. 106-107 दंसणमोहक्खवए उवसामंते य उवसते।। खवए य खीणमोहे जिणे असेढी भवे असंखिज्जा। तविवरीओ कालो संखज्जुगणाइ सेढीए।। - आचारांगनियुक्ति, गाथा 222, 223 (नियुक्तिसंग्रह, पृ. 441) 70. सम्यादृष्टिश्रावकविरतानन्तवियोजकदर्शनमोडक्षपकोपशमकोपशान्तमोहक्षपकक्षीण मोहजिनाः क्रमशोऽसंङ्ख्येयगुण निर्जराः / / - - तत्त्वार्थसूत्र ( उमास्वति) सुखलाल संघवी, 9/47 .. 71. (अ) णिज्जुत्ती णिज्जुत्ती एसा कहिदा मए समासेण / अह वित्थार पंसगोऽणियोगदो होदि णादव्वो।। आवासगणिज्जुत्ती एवं कधिदा समासओ विहिणा। णो उवजुजदि णिच्चं सो सिद्धि, जादि विसुद्धप्या।। - मूलाचार (भारतीय ज्ञानपीठ) 691, 692 ...एसो अण्णो गंथो कप्पदि पदि, असज्झाए। आराहणा णिज्जुत्ति मरणविभत्ती य संगहत्थुदिओ। पच्चक्खाणावसय धम्मकहाओ एरिस ओ।। - मूलाचार, 278,279 (ब) ण वसो अवसो अवसस्सकम्ममावस्सयंति बोधवा। जुत्ति त्ति उवाअंति ण णिरवयवो ठोदि णिज्जुत्ती / /

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