Book Title: Nirdosh Author(s): Sarang Barot, Madan Sudan Publisher: Z_Jain_Vidyalay_Hirak_Jayanti_Granth_012029.pdf View full book textPage 3
________________ रूखी : सजा तो मैं इस समय भोग ही रही हूं। दिनकर : अब ज्यादा नहीं भोगनी होगी। जरूर ही कोई बाहरी आदमी चोरी छिपे आता है या शायद शरीफ लगता बालू ही इस तरह आकर चीजें उठा ले जाता होगा। सिगरेट केस के बाद नये जूते गायब हो गये। बालू की गैरहाजिरी में ही जूते गये थे लेकिन चोरी छिपे आकर वही नहीं ले गया इसका क्या भरोसा? तुम चिन्ता न करो रूखी, अब चोर जरूर पकड़ा जायेगा चाहे बालू हो या कोई और... रूखी : उसे जब पकड़ कर आप मेरे पास लायेंगे तभी मुझे विश्वास होगा बेन। शोभना : ऐसा ही होगा रूखी, तुम जल्दी ठीक हो जाओ। रोहित तुम्हारे बिना नहीं रहता है। अगर तुम जल्दी ठीक होकर घर नहीं आई तो कहीं वही बीमार न पड़ जाये। रूखी : ना, ना, ईश्वर उसे सौ वर्ष का रखे, भगवान जरूर मेरी लाज रखेंगे। असली चोर पकड़ा जाये तो मुझे भी आपके घर की छाया नसीब हो, वहां के सिवा इस दुनिया में और कहां ठिकाना है? दिनकर : वह तुम्हारा अपना घर है रूखी... शोभना : सच रूखी, अब तुम जल्दी से ठीक हो जाओ... दिनकर : अच्छा रूखी चलते हैं... फिर आयेंगे। (दोनों का प्रस्थान) दृश्य : 5 (अस्पताल का दृश्य दिनकर और शोभना चोरी गई वस्तुओं को एक थैले में भरकर अस्पताल रूखी से मिलने आये हैं साथ में रोहित भी है।) दिनकर : देखो रूखी कौन आया है? रोहित : काकी! काकी !! रूखी : मेरे बच्चे आ- आ, मेरे पास... दिनकर : चोर पकड़ा गया रूखी। रूखी : सच? शोभना : सच रूखी, यह देखो, खोई हुई चीजें भी सब मिल गयी हैं... यह देखो। (थैला पलटती है) रूखी : (खुशी स्वर में) तो अंत में मेरे भगवान ने मेरी लाज रख ली, मेरी प्रार्थना उसने सुन ही ली। दिनकर : अरे, यह तो पूछो कि आखिर चोर कौन था ? रूखी : मुझे यह जानकर क्या करना है? जाने दो साहब अपना किया वह आप भोगेगा। शोभना : पर उसका किया तो तुम्हें भोगना पड़ रहा है रूखी, पता है चोरी कौन करता था? रूखी : कौन करता था ? दिनकर : यह बदमाश (रोहित को आगे करता है)। यह तुम्हारा रोहित! रूखी : यह! ...मेरा रोहित ! शोभना : हां रूखी, यह रोहित, जो भी चीज हाथ में आती उसी को उठाकर घर के पिछवाड़े जो पानी का होद है न उसी में छोड़ जाता था। दिनकर : आज पूजा घर से भगवान की मूर्ति उठाकर होद में डालते हुए पकड़ा गया। बालू को होद में उतारा तो खोई हुई सारी चीजें मिल गईं। रूखी : तो भगवान पानी में जाकर सारी चीजें ढूंढ़ लाये। (ठण्डी सांस भरती है।) शोभना : बोलो रूखी, अब इस चोर को क्या सजा दें? बोलो न... रोहित : नहीं काकी, मैं चोरी नहीं करता था... मैं तो होद के पानी में भस्म करता था। (सभी हंसते हैं... संगीत उभरता है।) हीरक जयन्ती स्मारिका विद्वत् खण्ड/६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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