Book Title: Nem Rajul Lekh Author(s): Rasila Kadia Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 3
________________ December - 2003 121 एक मलें ने बीजो मले, मन मानहिं न सनेह रे लीधा ते मुकी जे करे, ते तो आष(ख)रे आपे छेह // 12 वा० // जे मन मेंहें मली रह्या, उत्तम ओपम तास रे जोज्यो ते पूर्व प्रीतडी, तेहनी जगमां रही सुवास !14 वा० / / षा(खा)वा पीवा पहेरवा, वाहला मनगमता सणगार रे भरयोवन प्रीउ घर नहीं, तेहनों एले गयो अवतार // 15 वा० / / बालपणेरे विद्या भणे रे, भरयोवन भोगवे भोग रे वृधपणे रे व्रत आदरे, ते तो अवीचल पाले व्योग (योग) // 16 वा०॥ कागल जग भलें सरजीओ, वाहला साधो ते मीत्र कहाय रे मननां रे दुःख मांडी ल, ते तो आंसुडे जल जाय // 17 वा० // लेख लाषी(खी)णो राजुल लख्यो, वाह्ला नेमजी गुण अभीरामरे अक्षरे अक्षर वांचज्यो, माहरी कोडाकोडी सलाम // 18 वा० // नेम राजूल सीवपूर मल्यां, पूगी ते मननी आस रे श्रीविनयवीजय उवझायनो, शिष्य रूपविजय उल्लास // 19 वा० इति श्री नेम-राजूल लेख संपूर्ण सं. 1856 मार्गशीर्ष सुदि 8 बुधे ल० अघरां शब्दोनी यादी : हेज = हेत, प्रीत भूर = भूरि-घणो चोलमजीठ = घेरा लाल रंगनी वनस्पति / लाल रंगनुं वस्त्र तावड = तडको ओपम = उपमा, सरखामणी हुंसे = होशे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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