Book Title: Neev ka Patthar
Author(s): Ratanchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 64
________________ १२६ नींव का पत्थर ००० wroom: ०००००००० नव साहित्य सृजन एवं सुयोग्य विद्वानों के निर्माण में व्यतीत हो रहा है। हमारे जयपुर प्रवास में आयोजित विभिन्न धार्मिक समारोह गोष्ठियों आदि में आपने अपने तत्त्वज्ञान से समाज को काफी लाभान्वित किया है। __ आपके द्वारा रचित प्रथमानुयोग के शलाका पुरुष भाग एक व दो तथा हरिवंश कथा आपकी लेखनी के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। सहज, सरल व गम्भीर व्यक्तित्व के धनी पण्डितजी का साहित्य और जैन तत्त्वज्ञान के प्रचार-प्रसार में जो योगदान है, वह अनुपमेय है। पण्डितजी साहब दीर्घजीवी होकर जिनवाणी की इसीप्रकार निरन्तर सेवा करते रहें। यह मेरा मंगल आशीर्वाद है। 0 स्मरणीय सेवा • पण्डिताचार्य भट्टारक श्री चारुकीर्तिजी, जैनमठ, मूढबिद्री पण्डित रतनचन्दजी भारिल्ल इतनी सादगी से रहते हैं कि प्रथमदृष्टया मिलने पर कोई उनके विशाल व्यक्तित्व का अंदाज भी नहीं लगा पाता और जब उसे उनका परिचय मिलता है तो उनकी सरलता को देखकर मिलनेवाले आश्चर्य चकित हो जाते हैं। पण्डितजी ने सरल लोकभाषा में धर्म के सिद्धान्तों को प्रस्तुत करके अत्यन्त उपकार किया है। उनकी किताबों के कन्नड़ अनुवाद से कन्नड़ की जनता भी उनका उपकार मानती है। आपने धार्मिक उत्थान के साथ सामाजिक समस्याओं के लिए भी अपनी पुस्तकों में अनेक व्यावहारिक समाधान सुझाकर समाजोत्थान के लिए भी आश्चर्यपूर्ण काम किया है। आपकी सेवाओं को सदैव याद किया जायेगा। रतनचन्द से त्रैलोक्यनाथ बनें • स्वस्ति श्री भट्टारक चिन्तामणि धवलकीर्ति स्वामीजी, अर्हत्सुगिरि पण्डित रतनचन्दजी भारिल्ल तो चन्द से भी शीतल सरल एवं कर्मठ कार्यकर्ता हैं। उनकी जैन साहित्य की मौलिक कृतियाँ हर एक मानव की मानवता का उत्थान करनेवाली हैं। उनके लेखन एवं बोलने की शैली भी अर्थ गम्भीरता को सूचित करती है। उन्होंने दक्षिण से लेकर उत्तर तक समस्त भारतभूमि की जनता का उत्थान किया है और अभी भी कर रहे हैं। वे साहित्य के माध्यम से विदेशों में भी पहुँच गये हैं। कुछ लोग जयपुर में बैठकर पत्थर में भगवान का रूप दे रहे हैं तो हमारे रतनचन्दजी जयपुर में बैठकर इन्सान को साक्षात् भगवान बनाने की कला सिखा रहे हैं। वास्तव में उनका जीवन धन्य है। लेखक के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रकाशन मौलिक कृतियाँ अब तक प्रकाशित प्रतियाँ कीमत ०१. संस्कार (हिन्दी, मराठी, गुजराती) ५६ हजार ५०० १८.०० ०२.विदाई की बेला (हिन्दी, मराठी, गुजराती) ८५ हजार १२.०० ०३. इन भावों का फल क्या होगा (हि. म., गु.) ४९ हजार १८.०० ०४. सुखी जीवन (हिन्दी) ( नवीनतम कृति ) २३ हजार ०५. णमोकार महामंत्र (हि., म., गु., क.) ६७ हजार ५०० ०६. जिनपूजन रहस्य (हि.,म., गु., क.) १लाख ७९ हजार २०० ०७. सामान्य श्रावकाचार (हि., म., गु.,क.) ७१ हजार २०० ०८. पर से कुछ भी संबंध नहीं (हिन्दी) ८ हजार ०९. बालबोध पाठमाला भाग-१(हि.म.गु.क.त.अं.) ३ लाख ५२ हजार १०. क्षत्रचूड़ामणि परिशीलन (नवीनतम) ८ हजार ११. समयसार : मनीषियों की दृष्टि में (हिन्दी) ३ हजार ४.०० १२. द्रव्यदृष्टि (नवीन संस्करण) ५ हजार १३. हरिवंश कथा (दो संस्करण) १० हजार १४. षट्कारक अनुशीलन ३हजार १५. शलाका पुरुष पूर्वार्द्ध (दो संस्करण) १६. शलाका पुरुष उत्तरार्द्ध (प्रथम संस्करण) ५ हजार १७. ऐसे क्या पाप किए (दो संस्करण) ८ हजार १८. नींव का पत्थर ५ हजार १९. पंचास्तिकाय (पद्यानुवाद) ५ हजार २०. तीर्थंकर स्तवन ५ हजार २१. साधना-समाधि और सिद्धि २ हजार सम्पादित एवं अनूदित कृतियाँ (गुजराती से हिन्दी)२२ से ३२. प्रवचनरत्नाकर भाग -१ से ११ तक (सम्पूर्ण सेट) १६०.०० ३३. सम्यग्दर्शन प्रवचन १५.०० ३४. भक्तामर प्रवचन ३५. समाधिशतक प्रवचन ३६. पदार्थ विज्ञान (प्रवचनसार गाथा ९९ से १०२) ३७. गागर में सागर (प्रवचन) ३८. अहिंसा: महावीर की दृष्टि में ३९. गुणस्थान-विवेचन ४०. अहिंसा के पथ पर (कहानी संग्रह) १०.०० ४१. विचित्र महोत्सव (कहानी संग्रह) ११.०० ००० ००००००००० 30m ० ० ० ०००००० ० ० ० (64)

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