________________ अनुसन्धान-५८ गुरु : गुरु जो शुभराशिमां होय तो शीघ्र फळ आपे छे. गुरु वाणीनो कारक छे. शुक्र : असुरगुरु शुक्राचार्य तेजस्वी ग्रह छे. तेनुं बीजु नाम 'काव्य' शनि : मन्द गति करे छे (=शनैश्चर) क्रूरग्रहोनो मित्र गणाय छे. समुद्र साथे तेने सम्बन्ध छे. राह : राहु ग्रह मात्र 'शीर्ष'रूप छे. योग्य समये मीन वगेरे जलराशिओमां शान्तिनो कारक बने छे. केतु : नवमो ग्रह छे. श्यामवर्णनो छे. C/o, २०३-बी, एकता एवेन्यू, बेरेज रोड, वासणा अमदावाद-७