Book Title: Nari ke Mukti Data Bhagawan Mahavir
Author(s): Shanta Bhanavat
Publisher: Z_Sadhviratna_Pushpvati_Abhinandan_Granth_012024.pdf

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Page 1
________________ साध्वी रत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ नारी के मुक्तिदाता भगवान महावीर -- डा. शान्ता भानावत स्त्री और पुरुष, समाजरूपी रथ के दो पहिये हैं। दोनों की समानता ही रथ की गतिप्रगति है । इतिहास के पृष्ठ पलट कर देखे जायें तो हमें प्रतीत होता है कि नारी ने समाज में कभी सम्मान का जीवन जिया है तो कभी अपमान का भी भगवान महावीर का आविर्भाव ईसा पूर्व छठी शताब्दी में जब इस धरा पर हुआ, वह समय नारी के लिये महापतन का था। समाज में उसका कोई स्थान व सम्मान नहीं था । वह गाजर-मूली और भेड़-बकरियों की भांति चौराहे पर खड़ी कर बेच दी जाती थी । बड़े-बड़े सेठ, श्रीमन्त उसे खरीद लेते और दासी की तरह उसका उपयोग करते थे । वह चेतन होकर भी जड़ वस्तु समझी जाती थी । "अस्वतंत्रता स्त्री पुरुष प्रधाना" तथा "स्त्रिया वेश्या तथा शूद्राः येपि स्युः पापयो नयः " जैसे वचनों की समाज में मान्यता थी । Jain Educa भगवान् महावीर ने नारी को माता, पत्नी, बहन, पुत्री आदि विविध रूपों में देखा । उसके अस्तित्व को पहचाना। उन्होंने पतित नारी जीवन को ऊँचा उठाने के लिए भरसक प्रयत्न किया । नारी को उसका खोया हुआ सम्मान दिलाते हुए उन्होंने कहा - "नारी को पुरुष से हेय समझना अज्ञान, अधर्म, एवं अतार्किक है। नारी अपने असीम मातृप्रेम से पुरुष को प्रेरणा एवं शक्ति प्रदान कर समाज का सर्वाधिक हित साधन करती है तथा वासना, विकार और कर्म- जाल को काट कर मोक्ष प्राप्त कर सकती है । इसीलिये महावीर ने अपने चतुविध संघ में साधुओं की भांति साध्वियों को और श्रावकों की भाँति श्राविकाओं को बराबरी का स्थान दिया । उन्होंने साधु साध्वी, श्रावक, श्राविकाओं को तीर्थ कहा और चारों को मोक्षमार्ग का पथिक बताया । यही कारण था कि महावीर के धर्म - शासन में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की संख्या अधिक थी । १४००० साधु थे तो ३६००० साध्वियां । एक लाख उनसठ हजार श्रावक थे तो तीन लाख अठारह हजार श्राविकाएँ थीं । पुरुष की अपेक्षा नारियों की अधिक संख्या होना इस बात का प्रतीक है कि महावीर ने नारी जागृति का जो बिगुल बजाया, उससे नारी समाज में जागृति आई व पतित और निराश नारी साधना के मार्ग पर बढ़ी । उस समय साधु संघ का नेतृत्व इन्द्रभूति गौतम के हाथों में था तो साध्वीसंघ का नेतृत्व चन्दनबाला के नारी के मुक्तिदाता भगवान महावीर : डॉ० शान्ता भानावत | २३७

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