Book Title: Narad ke Vyaktitva ke Bare me Jain Grantho me Pradarshit Sambhramavastha
Author(s): Kaumudi Baldota
Publisher: ZZ_Anusandhan
View full book text ________________ 168 अनुसन्धान 49 78. ऋग्वेद 8.13.30 79, अथर्ववेद 12.4.42 80. ऐतरेय ब्राह्मण 7.13 81. महाभार, शान्तिपर्व, उपरिचर वसु राजा 82. नन्दीसूत्र, सूत्र 42 सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूचि 1. अथर्ववेद : भाषांतरकार - सिद्धेश्वरशास्त्री चित्राव, भारतीय चरित्रकोश मंडळ, पुणे, 1969 2. आवश्यकसूत्र : भद्रबाहु (नियुक्ति) आणि हरिभद्रसूरिटीकासहित, आगमोदय समिति, महेसाणा, 1916 उत्तराध्ययन (उत्तरज्झयण) : सं. मुनि पुण्यविजय, महावीर जैन विद्यालय, मुंबई, 1977 4. उपदेशपद (उवएसपय): आ. हरिभद्र, सं. प्रतापविजयगणि, बडोदा, 1923 ऋग्वेद : भाषांतरकार - सिद्धेश्वरशास्त्री चित्राव, भारतीय चरित्रकोश मंडळ, पुणे, 1969 ऋषिभाषित (इसिभासिस) : सं. डॉ. वाल्थर शुब्रिग, लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद, 1974 ऐतरेय ब्राह्मण : सं. धुण्डिराज गणेश दीक्षित बापट, स्वाध्याय मन्दिर, पांचवड, सातारा, शके 1863 8. औपपातिक (उववाई) : उवंगसुत्ताणि 4 (खण्ड 2), जैन विश्वभारती, लाडनू (राजस्थान), 1986 ज्ञाताधर्मकथा (नायाधम्मकहा) : अंगसुत्ताणि 3, जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान), वि.स. 2031 10. तत्त्वार्थसूत्र : वाचक उमास्वाति,विवेचक - पं. सुखलालजी संघवी, सं. डॉ. मोहनलाल महेता, जैन पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, 2001 11. त्रिलोकप्रज्ञप्ति (तिलोय-पण्णति): आ यतिवृषभ, सं. प्रो. आदिनाथ उपाध्याय, प्रो. हीरालाल जैन, जीवराज जैन-ग्रन्थमाला 1, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर, 1943 12. दशवैकालिकटीका : हरिभद्रसूरि, देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंड, निर्णयसागर प्रेस, मुम्बई, 1918 13. पउमचरियं : विमलसूरि, सं. डॉ. एच्. जेकोबी, प्राकृत ग्रन्थ परिषद, वाराणसी, 1962 14. प्रज्ञापना : उवंगसुत्ताणि 4 (खण्ड 2), आ. महाप्रज्ञ, जैन विश्वभारती, लाडनूं, 1989 15. प्रज्ञापनाटीका : मलयगिरी, आगमोदयसमिति, महेसाणा, 1918 16. भगवती (भगवई) : अंगसुत्ताणि 2, जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान), वि.सं. 2031 17. भागवतपुराण : गीता प्रेस, गोरखपुर 18. भारतीय संस्कृतिकोश : सं.पं. महादेवशास्त्री जोशी, भारतीय संस्कृतिकोश मंडळ पुणे, 1962 19. मनुस्मृति (सार्थ सभाष्य) : सं. स्वामी वरदानन्द भारती, श्रीराधादामोदर प्रतिष्ठान, पुणे, 1923 20. महाभारत : शान्तिपर्व, सं. डॉ. पं. श्री दा.सातवलेकर, पारडी, 1980 21. समवायाङ्ग : अंगसुत्ताणि 1, जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान) वि.सं. 2031 22. स्थानाङ्ग (ठाण) : अङ्गसुत्ताणि 1, जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान), वि.सं. 2031 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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