Book Title: Nagdutta Charitram
Author(s): Shubhshil Gani
Publisher: Hiralal Hansraj Pandit

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Page 10
________________ REC नागदत्त चरित्र // 8 // // 8 // AxwA * SHALCOHORGARCANELSA दौर्भाग्यं निःस्वतां पुनः // 1 // ततो नृपादिनागरजनेरतीवसन्मानितोऽसौ नागदत्तो जैनधर्मराधनपरस्तया नोगवसुप्रियया सह भोगनिलासान् भुंक्तस्म. एवं चिर जैनधर्ममाराध्य प्रांते च प्रव्रज्यां गृहीत्वा स तीव्रतपोऽसिना कर्मारीन् विदारयन् प्रांते केवलज्ञानमाप्तवान् . ततोऽसो नागदत्तः केवली चंद्रमा इव भासुरो महीमंडले भूरिभव्यजनकुमुदवनानि निजवचनकिरणैः प्रीतिबोधयन् सर्वकर्मक्षयान्मुक्तिं जगाम. // इति आदत्ताऽग्रहणफलोपदर्शने श्रीनागदत्तकेवलिचरित्रं समाप्तम् // श्रीरस्त // आ ग्रंथ श्रीजामनगनिवासी पण्डित श्रावक हीरालाल हंसराजे स्वपरना श्रेयमाटे श्रीशुभशील. गणीजीए रचेला कथाकोषमाथी उद्धरीने तेनी मूलभाषामां बनता प्रयासे सुधागे वधारो करीने पोताना श्रीजैनभास्करोदय छापखानामां छापी प्रसिद्ध कयों छे. ॥समाप्तोऽयं ग्रन्थो गुरुश्रीमच्चारित्रविजय सुप्रसादात // % aey

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