Book Title: Nagarkot Kangada Mahatirth
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Bansilal Kochar Shatvarshiki Abhinandan Samiti

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Page 8
________________ पूज्य श्री बंसीलालजी कोचर जन्म : ६ जनवरी, १८९२ देहावसान : १ मार्च, १९७५ उन्नीसवी सदी के अन्तिम दशक में अमृतसर के एक धर्मभीरू परिवार में आपका जन्म हुआ। आपके पिताश्री पू० प्रेमसुखदासजी कई वर्ष पहले व्यापार हेतु अमृतसर आ बसे थे। आपकी बाल्यावस्था में ही आपके पिताश्री का निधन हो गया था एवं अपने बड़े भ्राता पू० भैरूंदानजी की देख रेख में आपने अपने व्यापार का संचालन किया। प्रारम्भिक कई असफलताओं के पश्चात् आपने एक जैन मुनि से नवकार मन्त्र की महिमा समझी व तत्पश्चात जो मार्ग दर्शन आपको मिला उसने आपको एक धर्म परायण, सहृदय व दानी इन्सान बनाया व दीन दुःखियों की सेवा के लिये प्रत्येक क्षण अग्रसर किया। वर्षों पहले ही आपने लू गी उत्पादन हेतु अमृतसर में एक विशाल हाथ करघा उद्योग की स्थापना की व आप बंसीलाल लगीवाला' नाम से प्रसिद्ध हुए। आप परमपूज्य प्रातःस्मरणीय आचार्य विजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराज के परम भक्त थे व उनके सदुपदेश से अमृतसर में जैन दादाबाड़ी की स्थापना का बीड़ा उठाया। तत्पश्चात उनके पट्टधर शांतमूर्ति आचार्य समुद्रविजयजी महाराज के आशीर्वाद से दादाबाड़ी के कार्यों को सुसम्पन्न किया। आपने अपना पूरा जीवन धर्माराधना करते हुए व्यतीत किया। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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