Book Title: Murti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 6
________________ में श्रद्धालुओं द्वारा निर्मित हिन्द, जैन व बौद्ध मन्दिर हमारी शिल्प और स्थापत्य कला के प्रतीक एवं हमारी संस्कृति के केन्द्र रहे हैं ! धर्म और मोक्ष पुरुषार्थ में वे धर्माराधना के पवित्र स्थान व मोक्ष-प्राप्ति के उत्कृष्ट साधन माने गये हैं, अन्यथा हमारे पूर्वज उन पर अपार धनराशि क्यों व्यय करते, यह विचारणीय प्रश्न है। मन्दिरों व मत्तियों का निर्माण अनादिकालीन चला आ रहा है जिसका स्पष्ट प्रमाण है कि उनके भग्नावशेष व खण्डहर प्रादि समय-समय पर खुदाई में प्राप्त होते रहते हैं । मत्तियों की प्राप्ति महासागरों में भी हुई है क्योंकि आज जहाँ पानी है उनमें से कई जगह हजारों लाखों वर्ष पूर्व भूमि व ग्राम थे । प्रायः विश्व की सभी प्राचीन सभ्यतागों में विभिन्न देवी-देवताओं व महापुरुषों की मूर्तियों को वन्दनीय माना गया है। जैन धर्म में भगवान महावीर के समय में उनके बड़े भाई नन्दिवर्धन द्वारा जीवंत स्वामी के नाम से जो मूर्तियाँ भराई गईं वे आज भी सुरक्षित रूप से उपलब्ध हैं। 'नांणां, दियाणां नांदिया । जीवंतस्वामी वांदिया ।' अर्थात् यह मान्यता है कि दक्षिण राजस्थान में सिरोही जिले में दियाणां व

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